जंग के मुहाने पर दुनिया

By Anshuman Anand  |  First Published Oct 3, 2018, 3:58 PM IST

चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के युद्धपोत एक दूसरे के आमने सामने आ गए। एक छोटी सी गलती से जंग शुरु हो सकती है। आईए जानते हैं, क्या है पूरा मामला---- 

दक्षिण चीन सागर(साउथ चाइना सी) एक बार फिर से विवादों के केन्द्र में है। यहां तनाव बढ़ गया है। हालत यहां तक पहुंच गई है, कि इस इलाके में चीन और अमेरिका के युद्धपोत एक दूसरे के सामने 41 मीटर के दायरे में आ गए। जिससे दोनों देशों के बीच भारी तनाव पैदा हो गया है। दोनों पक्षों में से किसी की एक भी गलती से मामला हाथ से निकल सकता है और युद्ध शुरु हो सकता है। 

फिलहाल चीन और अमेरिका दोनो एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है। यह मामला साउथ चाइनी सी के नानशा द्वीप समूह के पास की है। जिसपर चीन अपना कब्जा बताता है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक 'अमेरिकी विध्वंसक डेकाटूर ने 30 सितंबर को चीन सरकार की इजाजत के बगैर चीन के नानशा द्वीपसमूह के द्वीपों और चट्टानों से लगे जलक्षेत्र में प्रवेश किया। जहां चीन की निर्विवाद संप्रभुता है'। चीन के मुताबिक अमेरिका के इस कदम से क्षेत्रीय शांति और संप्रभुता को खतरा हो सकता है।   

उधर अमेरिका का कहना है कि चीनी युद्धपोत ‘असुरक्षित और गैर-पेशेवर’ तरीके से गतिविधियां कर रहा था, जो कि बेहद भड़काऊ है। दो युद्धपोतों का 41 मीटर के नजदीकी दायरे में आना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
 
दक्षिण चीन सागर(साउथ चाइना सी) काफी दिनों से विवादों में है। 35 लाख वर्ग किलोमीटर का यह इलाका कई दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों से घिरा हुआ है। इनमें चीन, ताइवान, फिलीपीन्स, मलयेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम हैं। ये सभी देश इस इलाके पर अपना अपना दावा करते हैं। 

लेकिन चीन ने 1947 में जारी एक नक्शे के जरिए इस क्षेत्र पर पूरी तरह कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। चीन ने यहां कई कृत्रिम द्वीप भी बनाना शुरु कर दिया है। जिसका विरोध बाकी देश कर रहे हैं।  

पिछले साल सितंबर में ली गई सेटलाइट इमेज के मुताबिक चीन ने यहां जमीन से हवा में वार करने वाली हाई-फ्रीक्वेंसी रडार मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं। 

इस इलाके पर कब्जा जमाने के लिए  1974 और 1988 में चीन और वियतनाम बीच संघर्ष भी हो चुका है।
 
अमेरिका इस इलाके में इसलिए दिलचस्पी रखता है, क्योंकि यहां से उसके राजनीतिक और आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। हर साल साउथ चाइना सी से 1.2 ट्रिलियन डॉलर का अमेरिकी ट्रेड होता है। 

इसके अलावा अमेरिका ने फिलीपीन्स से डिफेंस डील कर रखी है। जिसकी शर्तों के मुताबिक अमेरिका फिलीपींस को सिक्योरिटी कवर देता है। 

अमेरिका इस इलाके में चीन के खिलाफ अपनी मिलिटरी और खुफिया गतिविधियां लगातार जारी रखे हुए है। अक्टूबर 2015 में अमेरिका ने अपना मिसाइल डेस्ट्रॉयर सुबी रीफ के पास भेज दिया, जो कि चीनी सीमा से महज 12 नॉटिकल मील की दूरी पर है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बोल चुके हैं, कि इस इलाके में अमेरिकी जेट उड़ान भरते रहेंगे। 

भारत के लिए भी यह इलाका बेहद महत्व रखता है। हमारे समुद्री व्यापार का लगभग आधा हिस्सा इसी इलाके से होकर गुजरता है।
 
साउथ चाइन सी से दुनिया भर के देशों के लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर के कमर्शियल गुड्स की आवाजाही होती है। 
इसके अलावा इस क्षेत्र में तेल और गैस का अकूत भंडार भी मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में 11 बिलियन बैरल्स ऑइल और 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का भंडार है। 

इस इलाके के आर्थिक और सैन्य महत्व के कारण यहां दुनिया भर की महाशक्तियों का जमावड़ा हो रहा है। सबके हित एक दूसरे से टकरा रहे हैं। इस हालत में में यहां चल रहा विवाद कभी भी सशस्त्र संघर्ष का रुप ले सकता है। जिसका दायरा इतना ज्यादा बढ़ सकता है, कि पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ जाए। क्योंकि कोई भी पीछे हटना नहीं चाहता।

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