जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले - हद्द से ज्यादा भ्रष्टाचार, मेरिट में आए अभ्यर्थियों को दरनिकार कर नेताओं के करीबियों को दी गई थी नौकरी।
नौकरियों के लिए निकली भर्तियां कई बार योग्य अभ्यर्थियों के न होने की वजह से खाली रह जाएं, ये तो सुना होगा लेकिन खाली पदों पर दोगुने लोगों को नौकरी पर रख लेना हैरान करने वाला है।
दरअसल, 'जम्मू-कश्मीर बैंक' में 582 रिक्त पदों के लिए 1164 लोगों की नियुक्ति हुई है। इसके बाद नौकरी लगे लोगों में असमंजस पैदा हो गया है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खुद कहा है कि बैंक में भर्तियों में कथित तौर पर धांधली हुई है।
दरअसल, राज्य के प्रमुख बैंक 'जम्मू एवं कश्मीर बैंक' की भर्तियों में धांधली के आरोपों के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हस्तक्षेप किया और मेरिट में आने के बावजूद साइडलाइन कर दिए गए 582 प्रतिभागियों को नियुक्ति पत्र दिलवा दिया। इस तरह बैंक में खाली 582 पदों पर 1164 लोगों की नियुक्ति हो गई है। बैंक में अभी वो लोग भी नौकरी पर बने हुए हैं, जिन्हें कथित तौर पर राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते नौकरी दी गई।
राज्यपाल के मुताबिक, 40 छात्रों का एक समूह उनके पास यह मांग लेकर आया था कि परीक्षा में अव्वल आने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज कर राजनेताओं के हितैषियों को जम्मू-कश्मीर बैंक में नौकरी मिल गई।
राज्यपाल ने यह बात जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन परवेज अहमद के सामने रखी। इस पर परवेज अहमद ने उन्हें बताया कि मात्र 40 युवक नहीं है बल्कि 582 ऐसे केस हैं, जिन्हें नजरअंदाज कर राजनेताओं ने अपने चहेतों की नौकरियां दिलवाई है। इसके बाद मेरिट वाले अभ्यर्थियों की भी नियुक्ति कर दी गई, लेकिन पहले नौकरी पर रखे गए लोगों को निकाला नहीं गया। इसलिए रिक्त पदों से दोगुने लोगों को नियुक्ति पत्र मिल चुका है।
वहीं नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल द्वारा किए गए इस खुलासे को लेकर पीडीपी-भाजपा सरकार पर चुटकी ली है। भाजपा-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे हसीब द्राबू ने भी मांग की है कि गवर्नर को जल्द से जल्द उन नेताओं के नामों का खुलासा करना चाहिए जिन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर बैंक में अपने चहेतों को लगवाया था।
पीडीपी ने राज्यपाल के बयान का विरोध करते हुए कहा कि वह सुनी सुनाई बातों पर विश्वास कर रहे हैं। पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने 'माय नेशन' से कहा कि अभी जांच भी नहीं हुई और राज्यपाल इस तरह की बात कह रहे हैं। राज्यपाल को जांच पूरी होने तक का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा, हम ऐसा नहीं कह सकते कि हर कश्मीरी जिसके पास बड़ा मकान है, वह चोर है।
वहीं भाजपा ने राज्यपाल के बयान का समर्थन किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा, हमें पहले से ज्ञात था कि पिछली सरकारों के दौरान जम्मू-कश्मीर बैंक में काफी धांधलियां हुई हैं। जम्मू-कश्मीर बैंक से लिए गए कई बडे लोन पुरानी सरकारों ने एनपीए घोषित कर माफ करवा दिए गए।
जम्मू-कश्मीर बैंक ने इस सवाल पर चुप्पी साधी हुई है। पिछले दो दिन से 'माय नेशन' की टीम बैंक के सीईओ परवेज अहमद से बात करने का प्रयास कर रही है, लेकिन उनके दोनों नंबर बंद हैं। ट्विटर पर दी गई उनकी सफाई सच्चाई से परे है।
बैंक के पीआरओ जम्मू रवि कुमार भी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। उनका कहना है कि बैंक मुख्यालय से आदेश आने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। सवाल यह है कि राजनेताओं के करीबी जो जम्मू कश्मीर बैंक में रसूख के चलते नौकरी पा गए हैं, उनकी छुट्टी कब होगी, क्योंकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कह चुके हैं कि राज्य में भ्रष्टाचार है और वह इसे खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं।