अबकी बार कर्नाटक में सरकार: बस शाह के इशारे का है इंतजार

By Team MyNation  |  First Published May 28, 2019, 3:33 PM IST

लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जबरदस्त जीत के बाद कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार की उल्टी गिनती शुरु हो गई है। मामूली बहुमत के सहारे टिकी हुई कुमारस्वामी सरकार कब गिर जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है। दरअसल बीजेपी ने भी कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने की पूरी तैयार कर रखी है। उन्हें इंतजार है तो बस केन्द्र में मोदी सरकार के शपथ ग्रहण का:- 

नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर की मिली जुली सरकार चल रही है। यह सरकार बेहद मामूली बहुमत पर टिकी हुई है। लेकिन फिर भी अभी तक चली आ रही है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के बीच समीकरण बहुत अच्छे हैं। बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि कर्नाटक बीजेपी के सभी नेता बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के इशारे का इंतजार कर रहे हैं। 

यानी एक तरह से कहा जाए तो कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार बीजेपी के रहमोकरम पर टिकी हुई है। बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस के 8 विधायक उनके संपर्क में हैं। 
दरअसल कर्नाटक विधानसभा में 225 सीटें हैं। यहां सरकार बनाने के लिए 113 सीटें चाहिए। मई 2018 में जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे तो बीजेपी को 105 सीटें मिली थीं। जिसके बाद कर्नाटक बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सरकार भी बना ली। लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें तीन दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा। 

उधर 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस को 38 सीटें मिलीं। इन्हें एक बसपा विधायक का भी समर्थन हासिल है। राज्य में पहले कांग्रेस के सिद्धारमैया की ही सरकार थी। 

येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने फायदा उठाते हुए 38 सीटों वाले कुमारस्वामी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनवा दिया था। कांग्रेस-जेडीएस के पास कर्नाटक में 116 विधायक हैं, जो कि बहुमत के लिए पर्याप्त थे। लेकिन पहले दिन से दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच तकरार की खबरें सामने आती रहीं। 

दरअसल कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन अस्वाभाविक समझौतों पर टिका हुआ था। क्योंकि जमीनी स्तर पर दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। यह दोनों मात्र बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए एकजुट हुए थे। 

और अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत के बाद कर्नाटक में परिदृश्य बदलने लगा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 28 में से 25 सीटें जीत लीं। उसके वोट शेयर में 18.7 फीसदी का भारी इजाफा हुआ। कर्नाटक के लोग लोग एचडी कुमारस्वामी की सरकार से इतने नाराज दिखे कि उनके बेटे निखिल कुमारस्वामी भी एक निर्दलीय प्रत्याशी से दो लाख वोटों से हार गए। 

जेडीएस और कांग्रेस इन घटनाक्रमों से इतनी बेचैन दिखे कि उन्होंने लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन यानी 23 मई को अपने विधायकों की अचानक बैठक बुला ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया खुद मौजूद थे। 

दोनों नेता अपनी सरकार गिरने के डर से कितने चिंतित थे। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों नेताओं ने पिछले साल से गठबंधन बनने के बाद कभी साथ में बैठक नहीं की थी। बल्कि दोनों की एक दूसरे के बारे में तल्ख बयानबाजियां ही सामने आती थी। 

लेकिन बीजेपी के डर से कुमारस्वामी और सिद्धारमैया एक साथ बैठक करने के लिए मजबूर हो गए। उनकी चिंता वाजिब भी है। 

दरअसल खबर है कि कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। कई विधायकों के बुजुर्ग पूर्व कांग्रेसी नेता और भूतपूर्व मुख्यमंत्री एम.एम.कृष्णा से संपर्क में रहने की खबर है, जो कि अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस को डर है कि कृष्णा कुछ और कांग्रेस विधायकों को तोड़कर बीजेपी में शामिल करा सकते हैं। 

जहां कांग्रेस जेडीएस के नेता बेचैन हैं, वहीं कर्नाटक बीजेपी के नेता चुपचाप बैठकर अपने मौके का इंतजार कर रहे है। उन्हें इंतजार है तो बस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का। खबर आ रही है कि कि 30 मई को केन्द्र सरकार में मोदी सरकार के शपथग्रहण के बाद कर्नाटक सरकार के खिलाफ ‘ऑपरेशन कमल’ जोर शोर से शुरु कर दिया जाएगा। 

ऐसी भी सूचना है कि पाला बदलने वाले विधायकों की लिस्ट पहले से ही तैयार कर लिया गया है। बस इंतजार है तो बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व की हरी झंडी का। 
 

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