बिहार में शिवसेना जैसा फार्मूला लागू नहीं करेगा जदयू

By Team MyNation  |  First Published Dec 1, 2019, 2:28 PM IST

असल में महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद भाजपा के सहयोगी दलों ने उसे आंख दिखानी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र में तो उसके तीन दशक पुराने सहयोगी शिवसेना ने उससे गठबंधन तोड़कर अपने विरोधी कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी के साथ गठबंधन बनाकर सरकार का गठन किया है। वहीं झारखंड में भाजपा को अपने दम पर अकले चुनाव लड़ना पड़ रहा है। 

पटना। जनता दल यूनाइटेड अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के बगैर चुनाव नहीं लड़ेगा और न ही शिवसेना जैसा बर्ताव भाजपा को दिखाएगा। जदयू का साफ किया है कि वह भाजपा गठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ा। जदयू ने किसी नए गठबंधन की संभावना को खारिज किया है।

असल में महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद भाजपा के सहयोगी दलों ने उसे आंख दिखानी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र में तो उसके तीन दशक पुराने सहयोगी शिवसेना ने उससे गठबंधन तोड़कर अपने विरोधी कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी के साथ गठबंधन बनाकर सरकार का गठन किया है। वहीं झारखंड में भाजपा को अपने दम पर अकले चुनाव लड़ना पड़ रहा है। यहां पर लोकजनशक्ति और आजसू अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं जनता दल यूनाइटेड भी राज्य में अपने विरोधियों के साथ ही बिहार में अपने सहयोगी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहा है।

लिहाजा इस बात की आशंका जताई जा रही है कि कि जदयू इस तरह के फैसले बिहार में भी कर सकता है। लेकिन पार्टी ने इन आशंकाओं को खारिज किया है। जदयू का कहना है कि वह बिहार में अपने सहयोगी भाजपा और लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा। जो मौजूदा राजनैतिक घटनाक्रम महाराष्ट्र में हुआ है। उसका असर बिहार में नहीं दिखेगा। बिहार में किसी भी हाल में महाराष्ट्र फार्मूला लागू नहीं होगा। एक मीडिया हाउस से बातचीत में जदयू के महासचिव और पूर्व सांसद केसी त्यागी ने कहा कि उनका भाजपा और लोजपा के साथ बिहार में गठबंधन बहुत मजबूत है।

हालांकि अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद कुछ मुद्दों पर अलग राय हो सकती है। लेकिन फिलहाल सहयोगी दलों के साथ कोई संबंध खराब नहीं हैं। त्यागी ने साफ कहा कि भाजपा को हराने के लिए पार्टी के पास राजद के साथ जाने का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों के लिए पार्टी ने राजद से गठबंधन तोड़ा वहा आज भी वहां पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राजद में आज भी भ्रष्टाचार, परिवारवाद और संकीर्ण जातिवाद मौजूद है। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने साफ किया था कि अगले साल बिहार में होने वाले चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़े जाएंगे।

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