झाबुआ सीट पर 21 अक्टूबर को मतदान होना है। इस सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के करीबी कहे जाने वाले कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है। हालांकि इस सीट पर पहले भी भूरिया चुनाव जीतते आए हैं। लेकिन इस बार यहां का नजारा कुछ अलग है। क्योंकि इस बार ये चुनावी रण न होकर कांग्रेस के नेताओं की जुबानी जंग के लिए रण बना हुआ है। जबकि कमलनाथ ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा हुआ है।
भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं के बीच गुटबाजी चरम पर है। झाबुआ में हो रहा उपचुनाव कांग्रेस के नेताओं के लिए रण बना हुआ है। नेता एक दूसरे परोक्ष तौर पर आरोप लगाकर तंज कस रहे हैं। वहीं राज्य के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और राज्य के सीएम कमलनाथ ने झाबुआ में पार्टी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से दूरी बनाकर रखी। अभी तक सिंधिया झाबुआ में प्रचार के लिए नहीं गए हैं। जबकि ये सीट पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है। क्योंकि अगर पार्टी यहां पर हारती है तो राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी।
झाबुआ सीट पर 21 अक्टूबर को मतदान होना है। इस सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के करीबी कहे जाने वाले कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है। हालांकि इस सीट पर पहले भी भूरिया चुनाव जीतते आए हैं। लेकिन इस बार यहां का नजारा कुछ अलग है। क्योंकि इस बार ये चुनावी रण न होकर कांग्रेस के नेताओं की जुबानी जंग के लिए रण बना हुआ है। जबकि कमलनाथ ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा हुआ है। अभी तक मुख्यमंत्री कमलनाथ दो रैलियां झाबुआ में कर चुके हैं और तीसरी रैली 19 अक्टूबर को करेंगे।
लेकिन चुनाव में सिंधिया की गैरमौजूदगी कांग्रेस में चल रही गुटबाजी की तरफ इशारा कर रही है। क्योंकि अभी तक सिंधिया वहां नहीं गए हैं। फिलहाल इस सीट के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके कांतिलाल भूरिया को जीताने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कमलनाथ सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री पूरी ताकत लगाए हुए हैं। क्योंकि इस सीट पर चुनाव से पहले ही भाजपा ने कहना शुरू कर दिया है कि अगर इस सीट को हारने के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार चली जाएगी।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि सिंधिया के मध्यप्रदेश में होने के बावजूद वह अब तक झाबुआ चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे हैं। हालांकि सिंधिया की गैरमौजूदगी पर दिग्विजय सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि मेरे ख्याल से उन्हें आमंत्रण दिया गया होगा। इसकी जानकारी मुझे नहीं है लेकिन राज्य में कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और हम सब साथ हैं। हालांकि सिंधिया ही नहीं बल्कि इस सीट से सिंधिया के समर्थक नेता और मंत्रियों को भी दूर रखा गया है। जबकि दिग्विजय और कमलनाथ के करीबी नेताओं और मंत्रियों को चुनाव प्रचार में लगाया गया है।
उपचुनाव में प्रचार के लिए कांग्रेस ने जिन मंत्रियों और नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए उतारा उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट का माना जाता हैं। इस सीट की अहम जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के करीबी कहे जाने वाले और झाबुआ के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल और कमलनाथ खेमे के मंत्री बाला बच्चन को दी गई है। जबकि दिग्विजय सिंह समर्थक कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा,जीतू पटवारी,सुरेंद्र सिंह बघेल,प्रियव्रत सिंह समेत हर्ष यादव विजयलक्ष्मी साधो सचिन यादव सज्जन वर्मा ही यहां पर चुनााव प्रचार का जिम्मा संभाल रहे हैं।