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सुलझेगा जेएनयू विवाद, शाह ने लगाई निशंक को फटकार!

Published : Nov 21, 2019, 09:03 AM IST
सुलझेगा जेएनयू विवाद, शाह ने लगाई निशंक को फटकार!

सार

हॉस्टल फीस व अन्य शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र छात्राएं दिल्ली की सड़कों पर है। छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक होता जा रहा है। जबकि इस विवाद के आने के आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस वृद्धि का मामला वापस ले लिया था। लेकिन अब इस मामले में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को केन्द्रीय गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने फटकार लगाई है। 

नई दिल्ली। जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू में चल रहे फीस विवाद पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को फटकार लगाई है। शाह ने निशंक से कहा कि विश्वविद्यालयों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन नहीं होने चाहिए और इस तरह के प्रदर्शनों को विश्वविद्यालय स्तर पर निपटाने चाहिए। लिहाजा माना जा रहा है कि इस विवाद का पटाक्षेप जल्द हो सकता है।

हॉस्टल फीस व अन्य शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र छात्राएं दिल्ली की सड़कों पर है। छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक होता जा रहा है। जबकि इस विवाद के आने के आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस वृद्धि का मामला वापस ले लिया था। लेकिन अब इस मामले में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को केन्द्रीय गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने फटकार लगाई है। शाह ने छात्रों के आंदोलन और दिल्ली पुलिस से टकराव पर नाराजगी जताई है।

शाह ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात कर इस मामले में पूरी स्थिति पर जवाब तलब किया है। शाह ने निशंक से इस मामले में दखल कर विश्वविद्यालय में हालात को जल्द से जल्द सामान्य करने का आदेश दिया है। असल में शाह में निशंक से इस मामले में नाराज चल रहे हैं। क्योंकि उनका मानना है कि जिस तरह का आंदोलन छात्रों ने दिल्ली में किया। उसकी कोई जरूरत नहीं थी।

क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर पर ही छात्रों की समस्याओं का समाधान कर सकता था। लेकिन उसके बावजूद उनसे कोई कदम नहीं उठाए। फिलहाल शाह विश्वविद्यालयों में छात्रों के इस तरह के आंदोलन को नहीं नहीं मान रहे हैं। क्योंकि पुलिस गृहमंत्रालय के अधीन काम करती है। लिहाजा ये टकराव बाद के लिए खतरनाक हो सकता है। हालांकि जेएनयू वामदलों का गढ़ माना जाता है। लेकिन अभी तक भाजपा और उसके संगठन जेएनयू में अपनी पैंठ नहीं बना सकें हैं।

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