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लोकसभा के साथ हो सकता है जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव, राज्यपाल ने बतायी विधानसभा भंग करने की वजहें

Published : Nov 22, 2018, 10:38 AM IST
लोकसभा के साथ हो सकता है जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव, राज्यपाल ने बतायी विधानसभा भंग करने की वजहें

सार

राजभवन ने एक बयान में कहा, ‘‘राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया।’’ उन्होंने ये भी कहा कि जरूरी नहीं कि राज्य के चुनाव अभी हों, ये चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ भी कराए जा सकते हैं।

जम्मू--जम्मू कश्मीर में बुधवार को विभिन्न पार्टियों द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने और इसके तत्काल बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई के बाद राज भवन ने देर रात एक बयान जारी कर इस पर राज्यपाल का रुख स्पष्ट किया है।

बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने चार अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया जिनमें ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त’’ की आशंका और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’’ जैसी बातें शामिल हैं।

राजभवन ने बाद में एक बयान में कहा, ‘‘राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया।’’ उन्होंने ये भी कहा कि जरूरी नहीं कि राज्य के चुनाव अभी हों, ये चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ भी कराए जा सकते हैं।

बयान में चार अहम कारणों में से मुख्य कारण का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘‘ विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थाई सरकार बनना असंभव है। इनमें से कुछ पार्टियों तो विधानसभा भंग करने की मांग भी करती थीं। 

इसके अलावा पिछले कुछ वर्ष का अनुभव यह बताता है कि खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है। ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाए सत्ता हासिल करने का प्रयास है।’’ 

बयान में आगे कहा गया, ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए पैसे के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं। ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकार हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को गंदा करती हैं।’’ 

इसमें तीसरा कारण बताया गया है कि बहुमत के लिए अलग अलग दावें हैं वहां ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है।’’ 

इसमें कहा गया, ‘‘जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था जहां सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है। ये बल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और अंतत: सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं।’’ 


 

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