तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाशिए पर डाल रहा है कांग्रेस आलाकमान?

By Team MyNationFirst Published Sep 4, 2019, 4:30 PM IST
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मध्य प्रदेश में कांग्रेस आलाकमान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक बार फिर से झटका दे दिया है। कांग्रेस सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं होगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बने रहेंगे। सिंधिया ने मध्य प्रदेश कांग्रेस पर काबिज होने के लिए अपनी तरह से हर संभव कोशिश की थी। लेकिन यह असफल रही। जिसे देखकर लगता है कि कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया को तेजी से हाशिए पर भेजा जा रहा है। 
 

भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस में यथास्थिति बहाल रहेगी। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के  लिए किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा और मौजूदा प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष कमलनाथ ही इस पद पर बने रहेंगे। 

खास बात यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश कांग्रेस पर काबिज होने के लिए अपने  सारे घोड़े खोल दिए थे। बताया जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी  को अल्टीमेटम भी दिया था। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई और कांग्रेस नेतृत्व ने मध्य प्रदेश में यथास्थिति बहाल रखने का फैसला  किया है। 

ऐसी खबर आ रही है कि वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस में किसी तरह का विवाद नहीं चाहती हैं। इसलिए उन्होंने किसी तरह का विवाद टालने के लिए यथास्थिति बहाल रखने का फैसला किया है। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए किसी तरह की नियुक्ति फिलहाल टाल दी गई है। 

पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए जबरदस्त गुटबंदी की खबर आ रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज कराने के लिए जबरदस्त तरीके से लॉबिंग करने में जुटे हुए थे। मध्य प्रदेश में दतिया जिले के अध्यक्ष ने तो सिंधिया के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन बात बनी नहीं। 

दरअसल सिंधिया इन दिनों बहुत बेचैन हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस पार्टी में उन्हें हाशिए पर डाला जा रहा है। वह कांग्रेस का युवा चेहरा हैं। लेकिन कांग्रेस उन्हें आगे करने की बजाए गांधी परिवार के पुराने वफादारों पर ही भरोसा जता रही है। 

राज्य में चुनाव के समय भी सिंधिया को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन उन्हें किनारे कर के कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया। लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेज दिया गया। जिसका नतीजा यह रहा कि सिंधिया अपनी सीट पर ध्यान नहीं दे पाए और वहां  से चुनाव हार गए। 

इस तरह के लगातार झटकों से उबरने के लिए सिंधिया मध्य प्रदेश कांग्रेस के पार्टी संगठन पर काबिज होने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद चाहते थे। लेकिन उनकी इस मंशा पर भी पानी फिर गया। हालांकि सिंधिया के समर्थकों ने उनको अध्यक्ष बनाने लिए अखबार के विज्ञापनों से लेकर बैनर होर्डिंग और पूजा पाठ तक का सहारा लिया था। लेकिन सब कुछ फेल रहा। 

इन सब घटनाओं की वजह से लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया शायद गांधी परिवार का भरोसा खो  चुके हैं। इसलिए उन्हें लगातार झटके दिए जा रहे हैं। हाल ही में आर्टिकल 370 पर उन्होंने मोदी सरकार का समर्थन करते हुए ट्विट किया था। जिसकी वजह से राहुल और सोनिया गांधी असहज  स्थिति में पड़ गए थे। 

यही नहीं सिंधिया ने कांग्रेस कार्यसमिति  की बैठक में भी धारा 370 से संबंधित अपने स्टैण्ड का समर्थन किया था। 
 

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