मस्जिद से दिया गया हमले का आदेश, इसके बाद देखिए क्या हुआ

By Siddhartha Rai  |  First Published Aug 25, 2018, 11:59 AM IST

झारखंड के पाकुड़ में उपायुक्त द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, स्थानीय मस्जिद से हमले का 'कॉल' दिया गया। मालदा का कालियाचक पाकुड़ से महज 40 किलोमीटर दूर है। यहां हिंसक भीड़ ने 2016 में थाना फूंक दिया था।

बकरीद के मौके पर बुधवार को झारखंड के पाकुड़ जिले में जिस घटना को राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया ने पुलिस व उग्र भीड़ के बीच झड़प बताया, उसकी चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। 'माय नेशन' को मिले दस्तावेज से यह महज झड़प नहीं बल्कि कट्टरपंथी तत्वों की सुनियोजित साजिश नजर आ रही है। यह कालियाचक की घटना को दोहराने का प्रयास था। बंगाल के मालदा जिले में 2016 में हिंसक भीड़ ने कालियाचक थाने को फूंक दिया था। 

पाकुड़ की घटना का शुरुआती कारण यहां के एक प्राइमरी स्कूली में आधा दर्जन के करीब गोवंश की कुर्बानी देने को बताया जा रहा है। पुलिस के इस घटना की जांच करने और प्रतिबंधित मांस को जब्त करने से समुदाय विशेष के लोग भड़क गए। घटना डांगपाड़ा गांव के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के पास के स्कूल में घटी। जब स्थानीय प्रशासन के शीर्ष अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे तो उन पर कथित तौर पर हमले का प्रयास किया गया। मौके पर पहुंचे उपायुक्त और एसपी को झड़प के दौरान ही आभास हो गया था कि यह उन पर हमला करने की सुनियोजित साजिश है। इसके बाद सभी जान बचाकर वहां से निकल गए।

अधिकारियों पर हमले, सब-डिवीजनल पुलिस अधिकारी के ऑफिस की बिल्डिंग को नुकसान पहुंचाने के लिए कथित तौर पर आसपास की कई मस्जिदों से ऐलान किया गया। वरिष्ठ अधिकारी घटना की पड़ताल करने यहां पहुंचे थे। हिंसा पर उतारू लोग प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी के बाद पुलिस के कार्रवाई करने से नाराज थे। सबसे बड़ी बात यह है कि भीड़ में शामिल कई लोग पास के राज्य बंगाल से आए थे। हमले के दौरान 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए गए। 

'माई नेशन' को स्थानीय प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर की प्रति मिली है। इसमें उपायुक्त दिलीप कुमार झा और ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) भोला मंडल ने घटना का जो ब्यौरा दिया है, वह हैरान करने वाला है। 

महेशपुर पुलिस स्टेशन के आपातकालीन नंबर 100 पर बुधवार को सुबह 10.15 बजे एक फोन किया गया था। फोन करने वाले ने बताया कि यहां के प्राइमरी स्कूल में गायों को काटा जा रहा है। सूचना के बाद थानेदार, बीडीओ और कुछ कांस्टेबल 11.15 बजे घटनास्थल पर पहुंचे। 

उपायुक्त द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, मौके पर पहुंची टीम ने देखा,  'वहां कुछ गोवंशीय पशु को काटा गया है।' 'आगे की जांच में पता चला, कुछ और जगह भी जनवरों को काटे जाने की सूचनाएं हैं। यह सबकुछ एक मौलवी के कहने पर हुआ।' 

एफआईआर नोट में कहा गया है कि घटनास्थल की वीडियोग्राफी से पता चलता है कि 'गोवंशीय पशु के  सिर, खाल, हडि्डया और खून' हर जगह बिखरा पड़ा था। वहां 10 किलो बीफ भी बरामद हुआ।

जांच दल को 200 से ज्यादा लोगों ने घेर लिया और पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस दौरान लाठी और दूसरे हथियारों से भी हमला किया गया। उपायुक्त की शिकायत के अनुसार, 'कम संख्या होने के कारण जांच दल मौके से निकल गया, क्योंकि वहां उनके मारे जाने का खतरा था।'

पुलिस पार्टी ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियो को दी और महेशपुर पुलिस स्टेशन आ गए। मंडल की ओर से कहा गया है, 'हमें गुप्त सूचना मिली कि महेशपुर पुलिस थाने के तहत आने वाले गांवों की कई मस्जिदों से मौलवियों ने बकरीद के मौके पर काटे गए मांस को पुलिस द्वारा बरामद करने पर घटनास्थल पर एकत्रित होकर बदला लेने का ऐलान किया गया। इनमें शोहबिल, मकदूमपुर, डांगपाड़ा, सीलमपुर, तेलतूलिया, कनीझड़ा, चपतूरा, इंग्लिशपाड़ा आदि गांव शामिल  हैं। इस कॉल के साथ उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए।'

मंडल के अनुसार, 'मौलवी ने कालियाचक को दोहराने के लिए भी उकसाया।' इस बीच, उपायुक्त और एसपी महेशपुर पुलिस स्टेशन पहुंचे और जांच दल तथा जिले के दूसरे अधिकारियों से जानकारी लेने लगे। 

उपायुक्त के अनुसार, 'हमें यह भी सूचना मिली कि हजारों की संख्या में लोग बंगाल से महेशपुर की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान, सैकड़ों की संख्या में शरारती तत्व बंगाल की मुरारोई की तरफ से आए और एसडीपीओ के ऑफिस को घेर लिया। वहां पाकिस्तानी झंडे लहराए गए और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए।'

मंडल ने घटना का ब्यौरा देते हुए बता, 'हिंसक भीड़ ने दफ्तर पर पत्थरों से हमला कर दिया। इस दौरान बाहर से गोलियां भी चलाईं गईं। कुल लोगों ने देशी बम भी फेंके। इस हमले में उपायुक्त समेत कई अधिकारी घायल हुए हैं।'

भीड़ ने एसडीपीओ ऑफिस में बने एक मंदिर को निशाना बनाया और उसे तोड़ने की कोशिश की गई। जान पर खतरा देख पुलिस ने घटनास्थल पर धारा 144 का ऐलान कर दिया। भीड़ पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने पुलिस पर अपना हमला जारी रखा। 

पुलिस द्वारा की गई फायरिंग का बचाव करते हुए उपायुक्त ने इसे 'सुनियोजित साजिश' बताया है। जब हिंसा पर उतारू भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले बेअसर हो गए, पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। 

प्रत्यक्षदर्शियों एवं एफआईआर के मुताबिक, पुलिस ने करीब 250 राउंड गोलियां चलाईं। इसके बाद हिंसा पर उतारू भीड़ इधर-उधर भाग गई। पुलिस ने घटनास्थल से बड़ी मात्रा में जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। अली हुसैन नाम के एक शख्स को दोनों पैरों में गोली लगी थी। उसके पास से देशी कट्टा और जिंदा कारतूस बरामद हुआ है। पुलिस ने घटनास्थल से 10 मोटरसाइकिलें बरामद की हैं। 

शरारती तत्वों में से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया है। 950 लोगों में से 45 की पहचान की जा चुकी है। 

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