जानकारी के मुताबिक भाजपा के दो बागी विधायक कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के घर पहुंचे हैं और वहां उनकी मुलाकात हुई है। हालांकि अभी तक उनकी आगे की रणनीति का पता नहीं चल पाया है। जिसके बाद राज्य का सियासी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक मीडिया की नजर कर्नाटक पर लगी थी, लेकिन अब मीडिया का फोकस मध्य प्रदेश पर टिक गया है। कमलनाथ ने भाजपा के दो विधायकों को तोड़ कर भाजपा पर ही दांव चल दिया है। जिस तरह से राज्य में सियासी उठापटक के दावे किए जा रहे थे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं और अब तो उनके प्रबंधन का लोहा कांग्रेस पार्टी भी मानेगी। जहां पूरे देश में कांग्रेस के विधायक या नेता टूटकर भाजपा या फिर अन्य दलों में जा रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों को तोड़ा लिया है। फिलहाल ये दो विधायक कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में हैं।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के दो बागी विधायक कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के घर पहुंचे हैं और वहां उनकी मुलाकात हुई है। हालांकि अभी तक उनकी आगे की रणनीति का पता नहीं चल पाया है। जिसके बाद राज्य का सियासी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक मीडिया की नजर कर्नाटक पर लगी थी, लेकिन अब मीडिया का फोकस मध्य प्रदेश पर टिक गया है।
कमलनाथ ने भाजपा के दो विधायकों को तोड़ कर भाजपा पर ही दांव चल दिया है। जिस तरह से राज्य में सियासी उठापटक के दावे किए जा रहे थे। उन्हें कमलनाथ ने बदल दिया और ये जता दिया है कि वह भी भाजपा के विधायकों को तोड़ सकते है। फिलहाल कमलनाथ ने अपने कुछ करीबी मंत्रियों को मंत्रालय में चर्चा के लिए बुलाया है।
बुधवार को विधानसभा में एक बिल के समर्थन में भाजपा के दो विधायकों ने राज्य सरकार के पक्ष में अपना मत दिया था। उसके बाद से ही चर्चा शुरू हो गयी थी कि भाजपा के दो विधायक टूट गए हैं। लेकिन आज इन विधायकों का कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी से मिलना इस बात के संकेत दे रहा है कि भाजपा विधायक जल्द ही पाला बदल सकते हैं।
आज वहीं राज्य के हालत पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर बैठक भाजपा विधायकों की बैठक हो रही है। राज्य भाजपा के नेता और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा विधायक भूपेंद्र सिंह, विश्वास सारंग समेत कई वरिष्ठ नेता उनके घर पहुंचे हुए हैं और राज्य के इस ताजा घटनाक्रम पर चर्चा कर रहे हैं।
कल दोपहर तक भाजपा के नेता कमलनाथ सरकार को लेकर टिप्पणी कर रहे थे, लेकिन शाम होते ही राज्य का घटनाक्रम बदल गया और भाजपा को उस समय बड़ा झटका लगा जब विधानसभा में कराए गए मत विभाजन में बीजेपी के दो विधायकों ने विधेयक के पक्ष में अपना मत दिया। मत विभाजन में विधेयक के पक्ष में 122 विधायकों ने मतदान किया। कमलनाथ सरकार का दावा था कि भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया है।