जम्मू-कश्मीर आवामी फोरम के बैनर तले बड़गाम जिले के दूरदराज के गांव कनी-ए-दजां से चरार-ए-शरीफ तक ऐतिहासिक मार्च का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में जुटे कश्मीरी और सिविल सोसायटी के लोग
कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ आवाज तेज होने लगी है। कश्मीर की सिविल सोसायटी भी अब इसके खिलाफ मुखर हुई है। कश्मीर के बड़गाम जिले से शनिवार को 1000 लोगों ने पाकिस्तान की करतूतों और अपने बच्चों को पत्थरबाजी से दूर रखने के लिए चरार-ए-शरीफ तक ऐतिहासिक मार्च निकाला।
कश्मीर की सिविल सोसायटी अभी तक आतंकवादियों के प्रतिशोध के डर से खामोश रही है। लेकिन अब वह आगे आई है। उसकी कश्मीर को आतंकवाद और पत्थरबाजी से आजादी दिलाने की मांग की है। उन्होंने कश्मीर में शराब पर प्रतिबंध और बिक्री पर रोक की भी मांग की।
इस मार्च का आयोजन जम्मू-कशमीर आवामी फोरम के बैनर तले बड़गाम जिले के दूरदराज के एक गांव कनी-ए-दजां में किया गया। इसके बाद ये लोग अपनी इन मांगों के साथ चरार-ए-शरीफ तक पहुंचे।
इसमें दूसरे कई गावों के लोगों ने भी हिस्सा लिया। ये लोग बड़गाम बरना पठार, चलयां, बटपोरा, जीपंचाल, डलवान और पखारपोरा गांवों से होते हुए चरार-ए-शरीफ पहुंचे।
जम्मू-कश्मीर आवामी फोरम के चेयरमैन फारूक अहमद गनाई ने कहा कि ग्रामीण इलाके के लोगों की भागीदारी के लिहाज से यह अपनी तरह का पहला मार्च है।
गनाई ने 'माय नेशन' को कहा, 'हम कश्मीर घाटी से बंदूक की संस्कृति खत्म करना चाहते हैं। कश्मीरी कई दशकों से इससे पीड़ित हैं। अब डर से बाहर निकलने का समय आ गया है। हम वादी के शांतिप्रिय लोग हैं।'
उन्होंने कहा, 'फोरम की मांग है कि हमारी सोसायटी से दहशतगर्दी खत्म हो और शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगे। यह मुस्लिम आबादी की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। इससे वह सीधे आहत होते हैं। हमें वैश्विक भाईचारे, धार्मिक सहिष्णुता और लोगों की आवभगत के लिए 'कश्मीरियत' के हल्की पड़ चुकी प्रकृति को फिर से स्थापित करना होगा। यह फोरम गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने में भी मदद करेगी। साथ ही युवाओं का काल बन रहे नशे को रोकने की दिशा में भी काम करेगी।'
इस मार्च की कुछ तस्वीरें...
श्रीनगर से रोहित गोजा की रिपोर्ट...