केरल उच्च न्यायालय ने देशभर में कोरोना संक्रमण के बीच लागू लॉकडाउन के दौरान शराबियों को विशेष तौर से पास जारी करने के केरल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने तीन सप्ताह के लिए रोक लगाई थी।
नई दिल्ली। केरल में शराबियों के लिए विशेष पास के आदेश पर अब हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि केरल में अब तक शराब पीने वालों के लिए कोई पास नहीं दिए जाएंगे और ये रोक अगले तीन सप्ताह तक रहेगी।
केरल उच्च न्यायालय ने देशभर में कोरोना संक्रमण के बीच लागू लॉकडाउन के दौरान शराबियों को विशेष तौर से पास जारी करने के केरल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने तीन सप्ताह के लिए रोक लगाई थी। केरल उच्च न्यायालय ने कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर के पर्चे पर शराबियों को शराब की आपूर्ति करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है।
केरल सरकार ने पहले एक आदेश में कहा था कि शराब के कारण राज्य में लोग आत्महत्या कर रहे हैं और अगर किसी व्यक्ति की स्थिति खराब तो उसे डॉक्टर के प्रमाण पत्र के साथ शराब दी जा सकती है। हालांकि राज्य सरकार के फैसले का विरोध डाक्टर भी कर रहे थे और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया था। हालांकि इसी बीच केरल सरकार का कहना था कि वह ऑनलाइन शराब की बिक्री कर सकती है। केरल में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा शराब की खपत होती है।
उधर डाक्टरों का कहना था कि शराब के लती लोगों के लिए प्रमाण पत्र जारी करना उनकी नैतिकता के खिलाफ था। इसके बाद मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा था कि यह "जनविरोधी" है। सरकार के इस कदम के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी सामने आया था। इसके बाद केरल सरकार के इस कदम के खिलाफ कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने तीन याचिकाएं अदालत में दायर की गईं।
असल में केरल सरकार ने कहा कि जिन लोगों को डाक्टर प्रमाण पत्र देंगे उन लोगों को राज्य द्वारा संचालित खुदरा दुकानों से घर तक शराब पहुंचाई जाएगी। राज्य में शराब की दुकानें बंद होने के कारण कई लोगों ने आत्म हत्या की हैं। उधर केरल स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जी. स्पर्जन कुमार ने एक जारी किया था जिसके तहत शराब की डिलीवरी के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 100 रुपये का अतिरिक्त सेवा शुल्क लिए जाने का आदेश दिया था।