जानें किस समिति के लिए भाजपा पर दबाव बनाने लगे हैं सहयोगी दल

By Team MyNation  |  First Published Nov 14, 2019, 1:37 PM IST

भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के साथ ही हरियाणा में कमजोर हुई है। हालांकि हरियाणा में भाजपा ने जजपा के साथ मिलकर सरकार तो बना ली है। वहीं महाराष्ट्र में पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। पहला एक तो वह राज्य में सरकार नहीं बना पाई है वहीं उसके सहयोगी शिवसेना ने उससे तीन दशक पुराना रिश्ता भी खत्म कर दिया है।  जिसके बाद भाजपा मुश्किल में है। हालांकि अभी तक राज्य में शिवसेना भी सरकार का गठन नहीं कर सकी है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार न बनाने का खामियाजा भाजपा को भुगतान पड़ा है। वहीं अब एनडीए में उसके सहयोगियों ने भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जिसके तहत सहयोगी दल समन्वय समिति की मांग कर रहे हैं। जिसमें वह खुलकर अपनी बात रख सकें। हालांकि अब शिवसेना एनडीए से अलग हो गई है। लेकिन बिहार और अन्य प्रदेशों में भाजपा के सहयोगी इस मांग को उठा रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के साथ ही हरियाणा में कमजोर हुई है। हालांकि हरियाणा में भाजपा ने जजपा के साथ मिलकर सरकार तो बना ली है। वहीं महाराष्ट्र में पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। पहला एक तो वह राज्य में सरकार नहीं बना पाई है वहीं उसके सहयोगी शिवसेना ने उससे तीन दशक पुराना रिश्ता भी खत्म कर दिया है।  जिसके बाद भाजपा मुश्किल में है। हालांकि अभी तक राज्य में शिवसेना भी सरकार का गठन नहीं कर सकी है।

लेकिन अन्य राज्यों में अब भाजपा  से समन्वय समिति की मांग की जाने लगी है। ताकि सहयोगी दल मिलकर अपनी समस्याओं को रख सकें। हालांकि बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड पहले ही समन्वय समिति की मांग करती आई है। लेकिन भाजपा ने उसे कोई तवज्जो नहीं दी। लेकिन अब राज्य में ही दूसरी सहयोगी लोजपा भी भाजपा से लंबे रिश्तों को बरकरार रखने के लिए समन्वय समिति की मांग कर रही है। जिसके बाद भाजपा पर इन दलों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए जदयू पहले से ही भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रही है। जबकि लोजपा ने पांच सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है।

फिलहाल शिवसेना के राजग से बाहर चले जाने के लिए सहयोगी दलों का कहना है कि एनडीए के भीतर समन्वय और संवाद की कमी है। जिसको खत्म किया जाना चाहिए। फिलहाल इस मुद्दे को उठाने वाले लोजपा के सांसद और प्रमुख चिराग पासवान का कहना है कि जिस तरह से हर संसद सत्र के पहले एनडीए सहयोगियों की बैठक होती है वैसी ही बैठक साल में और ज्यादा होनी चाहिए।जिसमें सहयोगी दल अपनी बात रख सकें और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। इससे सहयोगी दलों में विश्वास भी बढ़ेगा।
 

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