जानें बाला साहब ठाकरे के किस वादे पर शिवसेना को घेर रही है भाजपा

By Team MyNation  |  First Published Dec 23, 2019, 8:09 AM IST

अगर शिवसेना को एनसीपी का समर्थन मिलता भी है तो कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए इसका विरोध करेगी। हालांकि पिछले दिनों शिवसेना ने साफ कर दिया था कि वह न तो अपने हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ेगी और न ही वह अपने विचारधारा से कोई समझौता करेगी। लेकिन महज एक महीने के दौरान भाजपा ने शिवसेना पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है।

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने अब महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा ने उद्धव ठाकरे वाली महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार से औरंगाबाद जिले का नाम बदलने को कहा है। भाजपा का कहना है कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का सपना देखा था। लिहाजा राज्य सरकार को इस  जिले का नाम बदल कर उनके सपने को पूरा करना चाहिए।

असल में भाजपा शिवसेना को इस मुद्दे के जरिए घेरना चाहती है। क्योंकि भाजपा को मालूम है कि राज्य सरकार के लिए औरंगाबाद का नाम बदलना आसान नहीं है और वह भी गठबंधन की सरकार में। भाजपा को अच्छी तरह से मालूम है कि अगर शिवसेना इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाती है तो कांग्रेस और एनसीपी इसका सीधा विरोध करेगी। अगर शिवसेना को एनसीपी का समर्थन मिलता भी है तो कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए इसका विरोध करेगी।

हालांकि पिछले दिनों शिवसेना ने साफ कर दिया था कि वह न तो अपने हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ेगी और न ही वह अपने विचारधारा से कोई समझौता करेगी। लेकिन महज एक महीने के दौरान भाजपा ने शिवसेना पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने राज्य के औरंगाबाद जिले का नाम बदलने के लिए शिवसेना सरकार पर दबाव बनाया है।

फिलहाल इसी सिलसिले में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने औरंगाबाद नगर निगम के महापौर नंदकुमार गोडेले से मुलाकात कर जिले का नाम बदलने की मांग की है। गौरतलब है कि जून 1995 में एएमसी की आमसभा में इसके लिए एक प्रस्ताव पारित हुआ था। लेकिन इस मामले को हाईकोर्ट में जाने के बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। भाजपा का कहना है कि शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने तकरीबन 30 साल पहले औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का विचार रखा था।

लेकिन अब राज्य में शिवसेना की सरकार है। राज्य में शिवसेना की सरकार और उनके बेटे उद्धव ठाकरे राज्य के सीएम है। लिहाजा उन्हें उनका सपना पूरा करना चाहिए। माना जा रहा है कि अगर औरंगाबाद नगर निगम में इसका प्रस्ताव पारित होता है तो उसे इस राज्य सरकार के पास भेजना होगा। इसके बाद राज्य सरकार इसे कैबिनेट में प्रस्ताव लाना होगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

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