जानें अलकायदा के मारे गये कमांडर का यूपी और दारुल उलूम से कनेक्शन

By Team MyNationFirst Published Oct 9, 2019, 9:29 AM IST
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 पिछले महीने अमेरिकी सेना ने उसे अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मार गिराया था। उसके आतंक को देखते हुए अमेरिका ने उसे पिछले साल ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डाल दिया था। वह मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में था। फिलहाल उमर के मारे जाने की पुष्टि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने कर दी है। अमेरिकी सेना से मिली जानकारी के मुताबिक उमर को अफगानिस्तान के हेलमांड प्रांत के मूला काला जिले में 23 सितंबर को अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मार गिराया था।

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में अमेरिकी एयरस्ट्राइक में मारे गए आसिम उमर का उत्तर प्रदेश के संभल जिले से कनेक्शन सामने आया है। उमर को अमेरिकी सेना को सितंबर में मार गिराया था।  उमर उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था और उसे सनाउल हक उर्फ सन्नू के नाम से जाना जाता था। यही नहीं उसने देवबंद के दारुल उलूम से भी पढ़ाई की थी।

जानकारी के मुताबिक उमर संभल के दीपा सराय इलाके का रहने वाला है और 1990 के दशक में वह पाकिस्तान चला गया था। जहां उसने आतंक का रास्ता चुना। लेकिन अब इसी रास्ते में चल कर उसका खात्मा हो गया है। वह अलकायदा का कमांडर था और संगठन में उसे मौलाना आसिम के नाम से जाना जाता था। लेकिन पिछले महीने अमेरिकी सेना ने उसे अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मार गिराया था।

उसके आतंक को देखते हुए अमेरिका ने उसे पिछले साल ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डाल दिया था। वह मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में था। फिलहाल उमर के मारे जाने की पुष्टि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने कर दी है। अमेरिकी सेना से मिली जानकारी के मुताबिक उमर को अफगानिस्तान के हेलमांड प्रांत के मूला काला जिले में 23 सितंबर को अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मार गिराया था। इसमें उमर के छह और साथियों को भी मार गिराया था।

उमर के बारे में कहा जाता है कि उसने दारुल उलूम देवबंद से 1991 में स्नातक किया था। इसके बाद जब वह पाकिस्तान गया तो वहां वह दारुल उलूम हक्कानिया नाम के मदरसे से जुड़ा। जिसे पाकिस्तान में जिहाद यूनिवर्सिटी कहा जाता है। असल में अलकायदा ने उमर को संगठन के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी ने भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियों के लिए कमांडर नियुक्त किया था। ताकि इन देशों में अलकायदा का आतंक शुरू हो सके और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके। 

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