हिंदू धर्मों के शास्त्रों के मुताबिक हर माह शिवरात्रि मनाई जाती है क्योंकि हर महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि होती है और फाल्गुन महीने के कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को ही महाशिवरात्रि(mahashivratri) कहा जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन मन से भगवान शिव का ध्यान करने और जल चढ़ाने से भक्तों के पाप उतर जाते हैं और उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
नई दिल्ली। शिव भक्तों को महाशिवरात्रि(mahashivratri) हर साल का बेसब्री से इंतजार रहता है और इस बार महाशिवरात्रि फरवरी महीने की 21 तारीख को पड़ रही है और इस दिन शुक्रवार है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन महादेव शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
हिंदू धर्मों के शास्त्रों के मुताबिक हर माह शिवरात्रि मनाई जाती है क्योंकि हर महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि होती है और फाल्गुन महीने के कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को ही महाशिवरात्रि(mahashivratri) कहा जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन मन से भगवान शिव का ध्यान करने और जल चढ़ाने से भक्तों के पाप उतर जाते हैं और उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
पुराणों के के अनुसार महाशिवरात्रि(mahashivratri) के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस साल 21 फरवरी को पढ़ने वाली महा शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त महज 49 मिनट का है और ये 21 फरवरी रात 12:27 से 1:17 तक का है। हालांकि भगवान शिव की पूजा पूरे दिन कभी भी की जा सकती है क्योंकि भगवान शिव अपने भक्तों पर कभी नाराज नहीं होते हैं और तभी उनका नाम भोले है और वह भक्त की छोटी सी भी प्रार्थना में खुश हो जाते हैं।
कैसे करें पूजा। महाशिवरात्रि(mahashivratri) पर सुबह जल्दी स्नान कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और अगर आप व्रत रखने की स्थिति में हों तो व्रत का संकल्प लें और फिर किसी भी शिवमंदिर में जाकर भगवान शिव को बेलपत्र, फूल अर्पित करें और जल चढाए। शास्त्रों के मुताबिक महाशिवरात्रि(mahashivratri) के दिन रुद्राक्ष की माला धारण करना भी शुभ माना जाता है।
लेकिन रुद्राक्ष की माला हर किसी को धारण नहीं करनी चाहिए और इसकी पवित्रता बनी रहनी चाहिए। राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण किया जाता है। महाशिवरात्रि(mahashivratri) के दिन कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और चन्दन, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें।