जानें क्यों वसुंधरा राजे पर मेहरबान है गहलोत सरकार

By Team MyNation  |  First Published Jan 21, 2020, 3:59 PM IST

पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पद से हटने के बाद उनको दी जा रही सरकारी सुविधाएं और बंगले को वापस ले लिया जाए। सुप्रीम पहले ही साफ कर चुका है कि पद से हटने के बाद नेताओं से दी जा रही सुविधाओं को वापस ले लिया जाए।

जयपुर। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री  और भाजपा नेता वसुंधरा राजे पर मेहरबान है। जबकि दोनों एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं। पिछले एक साल से गहलोक सरकार ने राजे से उनका सरकारी बंगाला खाली नहीं कराया है। जबकि नियमों के मुताबिक उन्हें दूसरा बंगला आवंटित किया था। लेकिन वसुंधरा अपने बंगले को नहीं छोड़ना चाहती हैं। वहीं अब वसुंधरा से बंगला खाली न करना पड़े इसलिए राज्य सरकार नई नीति ला रही है। जबकि सुप्रीम पहले ही साफ कर चुका है कि पद से हटने के बाद नेताओं से दी जा रही सुविधाओं को वापस ले लिया जाए।

पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पद से हटने के बाद उनको दी जा रही सरकारी सुविधाएं और बंगले को वापस ले लिया जाए। लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार आने और भाजपा की सरकार जाने के बाद गहलोत सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बंगला खाली नहीं कराया है। वहीं राज्य सरकार वसुंधरा राजे को मिले शानदार सरकारी बंगले को बचाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा रही है।

इसके लिए अब राज्य सरकार बकायदा एक नीति बनाने जा रही है। जिसके बाद वसुंधरा को आसानी से ये बंगला आवंटित हो जाएगा। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राज्य में सीएम बनने के बाद से ही जयपुर के सिविल लाइन स्थित 13 नम्बर के सरकारी बंगले में ही रह रही है। जबकि उन्हें आठ नंबर का बंगला मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित किया गया था। लेकिन अपने पूरे कार्यकाल में वसुंधरा राजे आठ नंबर के बंगले में ही रही। वह सरकारी दौर से घोषित मुख्यमंत्री आवास में नहीं रही और राज्य की सत्ता इसी बंगले से चलाती रही।

माना जा रहा है कि अपने कार्यकाल के दौरान वसुंधरा ने इस बंगले में बहुत सारे काम कराए हैं। लिहाजा वह इसे खाली नहीं करना चाहती है। बताया जाता हैं कि इस सरकारी बंगले के भीतर वसुंधरा और उनके खास लोगों के अलावा और कोई अंदर नहीं जा सकता है। गौरतलब है कि  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री से सरकारी आवास को खाली कराया जा चुका है।
 

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