केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हैं। ऐसे में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल मौके का फायदा उठाने की फिराक में है। उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश के सामने फिर से एक होने का प्रस्ताव दिया है।
पटना: नीतीश कुमार बीजेपी के थोड़े खफा हैं। उन्होंने ढंके छिपे शब्दों में अपनी नाराजगी का इजहार भी कर दिया है। ऐसा होते ही बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश के सामने फिर से एक बार बीजेपी विरोधी मोर्चा तैयार करने का प्रस्ताव दिया है।
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने बयान दिया है कि 'अगर साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में यदि बीजेपी को हराना है तो सभी गैर भाजपा दलों को एक साथ आना चाहिए। इन सभी नॉन-बीजेपी पार्टियों में जेडीयू भी शामिल है।
हालांकि रघुवंश प्रसाद ने नीतीश पर यह कहते हुए व्यंग्य भी किया कि 'नीतीश कुमार कब किसका साथ छोड़ दें और फिर हाथ मिला लें यह कोई नहीं कह सकता'।
Raghuvansh Prasad Singh, RJD: You know Nitish ji, he'll surely switch sides but no one can predict when will he do that or what will he say. This has never happened once but several times. It's not surprising...All I want is that everyone should come together, against BJP. pic.twitter.com/dsESLnstJp
— ANI (@ANI)खास बात यह है कि नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी को देखते हुए बिहार में कई विपक्षी नेता उनसे मुलाकात कर रहे हैं। कल ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी नीतीश कुमार से मुलाकात की थी।
जिसके बाद आज रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश की पार्टी को अपने साथ आने का खुला प्रस्ताव दे दिया। उन्होंने लोकसभा चुनाव में आरजेडी की हार के कारण बताते हुए कहा कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा सही तरीके से नहीं हुआ था। कमजोर उम्मीदवार होने के बावजूद भी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया। टिकट बंटवारे से लेकर नेतृत्व तक के लिए कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं था।
रघुवंश प्रसाद ने यह भी कहा कि आरजेडी को सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध करना भी भारी पड़ा।
बिहार में आरजेडी को मात्र एक किशनगंज की सीट हासिल हुई है। खुद रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली सीट से चुनाव हार गए हैं। वहीं एनडीए गठबंधन में शामिल बीजेपी और जेडीयू ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीत लीं। इसमें से 16 सीटें जेडीयू को और बीजेपी को 17 सीटें मिली हैं। जबकि छह सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को हासिल हुई है।
साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसमें आरजेडी 80 सीटों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।