राम मंदिर पर रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान

By Team MyNation  |  First Published Dec 26, 2018, 7:17 PM IST

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि इसका जल्द से जल्द फैसला आ सके।

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने  सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत की तरह करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि जब सबरीमला और समलैंगिकता के मामले में शीर्ष अदालत जल्द निर्णय दे सकती है तो अयोध्या मामले पर क्यों नहीं। 

प्रसाद ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर लखनऊ में कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि इसका जल्द से जल्द फैसला आ सके। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि अर्बन नक्सल का केस दो महीने में हो जाता है लेकिन हमारे राम लला का केस 70 साल से अटका हुआ है और सुप्रीम कोर्ट में अपील दस साल से विचाराधीन है, सुनवाई क्यों नहीं होती है।

प्रसाद ने कहा कि हम बाबर की इबादत क्यों करें...बाबर की इबादत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा कि इसमें राम चंद्र जी, कृष्ण जी और अकबर का भी जिक्र है, लेकिन बाबर का जिक्र नहीं है। यदि हिंदुस्तान में इस तरह की बातें कर दो तो अलग तरह का बखेड़ा खड़ा कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, मैं कानून मंत्री के रूप में नहीं लेकिन एक आम नागरिक के रूप में अपील करना चाहूंगा कि इसमें इतने साक्ष्य हैं कि अच्छी बात हो सकती है। लेकिन जब लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं, एडल्टरी केस छह महीने में हो जाता है, सबरीमला 5-6 महीने में हो जाता है, राम लला का केस इतना लंबा क्यों चल रहा है। 

RS Prasad: Main appeal karna chahunga,Law minister ke roop main nahi,nagrik ke roop main, isme itna evidence hai ki achi baat ho sakti hai, lekin jab log mere paas atey hain aur poochte hain, adultery ka case 6 mahine main ho jata hai, Sabrimala 5-6 mahine main ho jata hai(25.12) pic.twitter.com/hyA03L9iVl

— ANI (@ANI)

सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एस के कौल की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया है। पीठ के इस मामले में सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ का गठन करने की संभावना है। इस बीच, केंद्र सरकार ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। सरकार चाहती है कि अयोध्या-बाबरी विवाद मामले की रोजाना सुनवाई हो। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा है कि सरकार चाहती है कि मामले को रोजाना के आधार पर सुना जाए।

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