नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन बिल में भाजपा का समर्थन कर किया है। जबकि तीन तलाक बिल में उन्होंने केन्द्र सरकार को समर्थन नहीं दिया था। जबकि वह राजग का हिस्सा हैं। असल में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अमित शाह को रिटर्न गिफ्ट दिया है, क्योंकि पिछले दिनों अमित शाह ने साफ किया था कि बिहार में विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़े जाएंगे। कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वह अपने स्टैंड पर कायम हैं।
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित को रिटर्न गिफ्ट दिया है। असल में नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन बिल पर भाजपा का साथ दिया है। हालांकि ये नीतीश कुमार के लिए इतना आसान नहीं था। क्योंकि तीन तलाक के मामले में नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया था। लेकिन नागरिकता संशोधन बिल में वह भाजपा के साथ खड़े रहे। बिल को लेकर पार्टी के कुछ नेता नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वह लोकसभा की तरह राज्यसभा में सरकार का साथ देंगे।
नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन बिल में भाजपा का समर्थन कर किया है। जबकि तीन तलाक बिल में उन्होंने केन्द्र सरकार को समर्थन नहीं दिया था। जबकि वह राजग का हिस्सा हैं। असल में आज बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अमित शाह को रिटर्न गिफ्ट दिया है क्योंकि पिछले दिनों अमित शाह ने साफ किया था कि बिहार में विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़े जाएंगे। यही नहीं उन्होंने भाजपा खासतौर से बिहार के नेताओं को नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी बंद करने को कहा था।
इसका असर ये हुआ था कि नीतीश सरकार के खिलाफ अकसर मोर्चा खोलने वाले गिरिराज सिंह ने ने नीतीश कुमार और सरकार के खिलाफ बयानबाजी बंद कर दी है। हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू झारखंड में भाजपा के खिलाफ ही चुनाव लड़ रही है। लेकिन आज नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर नीतीश कुमार ने अमित शाह के फैसले से खुश है। जदयू के नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा इस बिल को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
हालांकि पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इस फैसले से खुश नहीं है। असल में प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के चुनाव सलाहकार हैं और राज्य में होने वाले चुनाव का प्रबंधन उन्हीं के हाथ में। वहीं ममता बनर्जी इस बिल का विरोध कर रही हैं।