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जानें क्यों ठाकरे सरकार पर सहयोगी दल के नेता ही साध रहे हैं निशाना

Published : Apr 14, 2020, 08:53 PM ISTUpdated : Apr 14, 2020, 10:02 PM IST
जानें क्यों ठाकरे सरकार पर सहयोगी दल के नेता ही साध रहे हैं निशाना

सार

आज दोपहर हजारों की संख्या में भीड़ बांद्रा के रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हो गई। क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि लंबी दूरी की ट्रेनों को चला दिया गया है। लिहाजा श्रमिक और मजदूरों ने स्टेशन की तरफ रूख कर दिया। जिसके बाद सभी नियमों की धज्जियां उड़ी। जहां केन्द्र सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिग की बात  कर रही है। वहीं भीड़ ने सभी नियमों को तोड़  दिया।

मुंबई। मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर उमड़ी हजारों की भीड़ को लेकर राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे अपने ही सरकार के सहयोगी दलों के नेताओं  के निशाने पर आए गए हैं।  भले ही राज्य के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। लेकिन राज्य में शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने कहा कि ऐसा होना ही था। क्योंकि सरकारी राहत कार्य सिर्फ कागजों पर है और गरीब कब  तक दबड़ों में रहेंगे।


आज दोपहर हजारों की संख्या में भीड़ बांद्रा के रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हो गई। क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि लंबी दूरी की ट्रेनों को चला दिया गया है। लिहाजा श्रमिक और मजदूरों ने स्टेशन की तरफ रूख कर दिया। जिसके बाद सभी नियमों की धज्जियां उड़ी। जहां केन्द्र सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिग की बात  कर रही है। वहीं भीड़ ने सभी नियमों को तोड़  दिया। जबकि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से पहले ही हालत खराब हैं।

 मंगलवार को ही राज्य में कोरोना के 200 नए मामले दर्ज  किए गए और ग्यारह लोगों की मौत हुई।  वहीं राज्य के कैबिनेट मंत्री और सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं। जबकि राज्य में शिवसेना सरकार की सहयोगी कांग्रेस पार्टी के नेता संजय निरूपम इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।  निरूपम ने साफ कहा कि ये तो होना ही था, सरकारी राहत सिर्फ कागजी पर है।


 निरुपम ने मंगलवार को ट्वीट कर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा और कहा, 'बांद्रा में जो हो रहा है, वो होना ही था. क्योंकि उन्हें खाने को मिल नहीं रहा है. गांव लौटने से मना किया जा रहा है. आखिर कबतक दड़बे में बंद रहेंगे?' निरूपम ने कहा कि सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े हैं। सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है और कोई भी सरकार कितने लोगों को मुफ्त खाना खिला सकती है।

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