महाराष्ट्र के स्कूलों में मराठी अनिवार्य करने का बिल विधानसभा से पारित

By Team MyNationFirst Published Feb 27, 2020, 9:07 PM IST
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महाराष्ट्र विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से इसके लिए  विधेयक पारित किया। जिसके बाद अब दसवीं तक मराठी भाषा राज्य के स्कूलों में लागू हो गई है।  राज्य के मराठी भाषा के मंत्री सुभाष देसाई ने गुरुवार को निचले सदन में विधेयक पेश किया। जिसे मंजूर कर लिया गया है। हालांकि कुछ दिन पहले देसाई ने इसके लिए ऐलान किया था कि अगले सत्र से राज्य के स्कूलों में मराठी भाषा को अनिवार्य कर दिया जाएगा।

मुंबई। महाराष्ट्र के स्कूलों में अब दसवीं कक्षा तक मराठी अनिवार्य होगी। इसके लिए राज्य के विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ है। जिसके बाद शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 से चरणबद्ध तरीके से पहली से 10 वीं कक्षा तक लागू कर दिया जाएगा। राज्य में मराठी लागू होने के बाद ठाणे में स्कूली छात्रों ने गुरुवार सुबह मराठी भाषा दिवस के अवसर पर एक रैली निकाली। 

महाराष्ट्र विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से इसके लिए  विधेयक पारित किया। जिसके बाद अब दसवीं तक मराठी भाषा राज्य के स्कूलों में लागू हो गई है।  राज्य के मराठी भाषा के मंत्री सुभाष देसाई ने गुरुवार को निचले सदन में विधेयक पेश किया। जिसे मंजूर कर लिया गया है। हालांकि कुछ दिन पहले देसाई ने इसके लिए ऐलान किया था कि अगले सत्र से राज्य के स्कूलों में मराठी भाषा को अनिवार्य कर दिया जाएगा।

देसाई ने कहा कि ये कानून तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में पारित कानून  की तरह है। जिसके तहत राज्य की भाषा को राज्य  के स्कूलों में लागू  किया गया है। इसके तहत सभी स्कूलों में मराठी को पढ़ाना और पढ़ाना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 से चरणबद्ध तरीके से कक्षा 1 से 10 वीं तक के सभी स्कूलों में मराठी अनिवार्य विषय होगा। उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक वर्ष से पहले और छठी कक्षा में और बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

राज्य के सभी स्कूलों में 2024 से पहली से 10 वीं कक्षा तक पढ़ाया जाना शुरू हो जाएगा और स्कूलों में सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को ही पढ़ाया जाएगा। अगर कोई स्कूल इस फैसले का पालन नहीं करती है तो उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। राज्य सरकार के इस फैसले पर विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने स्वागत किया लेकिन छूट के प्रावधान पर आपत्ति जताई। दो दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने क्रांतिकारी वीर सावरकर का भारत रत्न के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था।
 

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