जब नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया, तब देहरादून ही एकमात्र नगर निगम था। वर्तमान में नगर निगमों की संख्या आठ पहुंच चुकी है। राज्य में हरिद्वार, रुड़की, हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, कोटद्वार व ऋषिकेश नगर निगम हैं।
देहरादून से हरीश तिवारी की रिपोर्ट
उत्तराखंड में जल्द होने जा रहे निकाय चुनाव सत्ताधारी भाजपा के लिए पावर बूस्टर और कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं। निकाय चुनावों के लिए दोनों ही दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा जहां अपने डेढ़ साल की उपलब्धियों को लेकर जनता के सामने जा सकती है, वहीं कांग्रेस अभी तक पूरे नहीं किए गए वादों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना कभी भी जारी कर सकता है।
राज्य गठन के बाद पिछले 18 साल के दौरान राज्य में निकायों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है। जब 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया, उस वक्त देहरादून ही एकमात्र नगर निगम था और वर्तमान में नगर निगमों की संख्या आठ तक पहुंच चुकी है। अब राज्य में हरिद्वार, रुड़की, हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, कोटद्वार व ऋषिकेश नगर निगम हैं। राज्य में दो साल पहले तक कुल छह नगर निगम, 31 नगर पालिका परिषद व 41 नगर पंचायत थीं। अब यह आंकड़ा 92 तक जा पहुंचा है। इसमें आठ नगर निगम और 84 नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतें शामिल हैं। राज्य सरकार भी जनता को सहूलियतें मुहैया कराने के लिए ज्यादा से ज्यादा नगर निकायों के गठन पर जोर दे रही हैं। आज भी कई क्षेत्रों में जनता को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
राजनैतिक तौर से निकाय चुनाव सत्ताधारी दल और विपक्ष के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं। आमतौर पर निकाय चुनाव में भाजपा को हमेशा ही समर्थन मिलता आया है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहता है। हालांकि राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। कांग्रेस पालिका और नगर पंचायत के चुनाव जीतने में सफल रही जबकि भाजपा ने सभी छह नगर निगम की सीटों पर जीत हासिल की। एक बार फिर राज्य के 92 नगर निकायों में चुनाव होने हैं और ऐसे में सभी राजनैतिक दलों ने अपनी तरफ से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
भाजपा नगर निकायों के चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अपने कोर ग्रुप के साथ बैठक कर चुनाव की तैयारियों पर मंथन किया। भाजपा ने विधानसभा चुनावों की तर्ज पर मंत्रियों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को इनकी जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसा माना जा रहा कि भाजपा निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित होते ही प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी। भाजपा ने तय किया है कि इस बार पार्टी वार्ड से लेकर मेयर तक चुनाव चिह्न पर लड़ेगी। भाजपा पूरी तरह से अपना ध्यान नगर निगमों पर कर रही है और इस बार राज्य के आठ नगर निगमों में चुनाव होने हैं। भाजपा ने निकाय चुनावों के लिए एक पद के पांच लोगों के नाम मांगे हैं। सत्तारूढ़ दल होने के कारण भाजपा में कांग्रेस की तुलना में ज्यादा दावेदार हैं।
वहीं कांग्रेस भी अपनी तैयारियों में जुट गई है। राजीव भवन में पार्टी नेताओं की लगातार बैठकें चल रही हैं। पहले कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा के लिए रविवार रात का समय दिया था लेकिन अब तक घोषणा नहीं हुई। दावेदार कांग्रेस भवन में आवेदन जमा कर इंतजार में हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि पार्टी के लिए चुनाव काफी अहम हैं। पूरा फोकस निकाय चुनावों पर है। निगम के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अभी तक अच्छा नहीं था, लेकिन कांग्रेस अब निगम पर भी अपना ध्यान फोकस कर रही है। नगर पालिका और पंचायतों में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार अच्छा रहा। लिहाजा इसे दोहराने की पूरी तैयारी पार्टी कर रही है। कांग्रेस ने एक पद के लिए तीन प्रत्याशियों के नाम मांगे हैं।