असल में निषाद ने दो दिन पहले भगवान श्रीराम को लेकर बयान देकर पार्टी को मुश्किलों में खड़ा कर दिया था। निषाद ने कहा था कि भगवान श्रीराम काल्पनिक हैं और उनका श्रीराम पर विश्वास नहीं है। इसके बाद सपा विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई थी।
लखनऊ। दो दिन पहले ही भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताने वाले समाजवादी पार्टी के नेता लोटन राम निषाद को पार्टी ने पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। निषाद ने कहा था कि वह भगवान राम को नहीं मानते हैं और उन्होंने भगवान राम को काल्पनिक बताया था और इसके बाद उनके ऊपर सपा आलाकमान की गाज गिरी है। फिलहाल अब सपा ने निषाद को हटाकर सपा एमएलसी राजपाल कश्यप को नई जिम्मेदारी सौंपी है।
असल में निषाद ने दो दिन पहले भगवान श्रीराम को लेकर बयान देकर पार्टी को मुश्किलों में खड़ा कर दिया था। निषाद ने कहा था कि भगवान श्रीराम काल्पनिक हैं और उनका श्रीराम पर विश्वास नहीं है। इसके बाद सपा विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई थी। इसके बाद सपा ने निषाद को किनारे करने का फैसला किया है। राज्य में सपा हिंदूओं और ब्राह्मणों को लुभाने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में भगवान परशुराम की मूर्तियों को लगा रही है। लिहाजा निषाद के बयान के बाद पार्टी की आलोचना होनी शुरू हो गई थी। लिहाजा आलोचनाओं से बचने के लिए पार्टी ने निषाद को पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष के पद से हटा दिया है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने निषाद को अध्यक्ष के पद से हटाने के बारे में कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति के बाद ये निर्णय लिया गया है। दो दिन पहले ही लोटन राम निषाद ने अयोध्या में भगवान श्रीराम को काल्पनिक चरित्र बताते हुए कहा कि जिस तरह फिल्मों में काल्पनिक चरित्र होता है। वैसे ही भगवान श्रीराम भी काल्पनिक थे। निषाद ने कहा कि संविधान भी मान चुका है कि राम जैसा कोई नायक भारत में पैदा ही नहीं हुआ था। वहीं निषाद के इस बयान के बाद सपा विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई थी। असल में राज्य में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर माहौल बनने लगा है और निषाद के बयान के बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई थी और आनन फानन में पार्टी को निषाद को अध्यक्ष के पद से हटाना पड़ा।