MP News: Supreme Court का भोजशाला में ASI सर्वे रोकने से इनकार...फिर भी मुस्लिम पक्ष संतुष्ट, जाने वजह

By Surya Prakash TripathiFirst Published Apr 1, 2024, 4:34 PM IST
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मध्य प्रदेश के धार भोजशाला पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को साइंटिफिक सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि देश की शीर्ष अदालत ने यह जरूर कहा है कि ASI सर्वे के नतीजे के आधार पर बिना उसकी अनुमति लिए कोई फैसला मान्य नहीं होगा।

धार। मध्य प्रदेश के धार भोजशाला पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को साइंटिफिक सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि देश की शीर्ष अदालत ने यह जरूर कहा है कि ASI सर्वे के नतीजे के आधार पर बिना उसकी अनुमति लिए कोई फैसला मान्य नहीं होगा। ASI ने 7 अप्रैल 2003 को एक व्यवस्था बनाई थी। जिसके तहत हिंदु पक्ष मंगलवार और मुश्लिम पक्ष के लोग शुक्रवार को अपनी-अपनी पूजा और इबादत करने आते हैं। 

ASI सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया है मुस्लिम पक्ष
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के 11 मार्च के साइंटिफिक सर्वे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और पीके मिश्रा की बेंच ने केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार, ASI और अन्य को नोटिस जारी किए हैं। बेंच ने कहा कि 4 हफ्ते में जवाब के लिए नोटिस जारी किया जाए। सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना कोई फैसला न लिया जाए। बेंच ने  यह भी स्पष्ट किया कि विवादित परिसर में ऐसी कोई भौतिक खुदाई नहीं होगी, जिससे उस परिसर का चरित्र बदलता हो।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर भोजशाला में सोमवार को 11वें दिन भी सर्वेक्षण जारी रहा। वरिष्ठ ASI अधिकारी सुबह 7.55 बजे पर विवादित स्थल पहुंचे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में सर्वेक्षण शुरू हुआ। 

 

800 साल पुराना है भोजशाला विवाद
धार जिले की भोजशाला को लेकर लंबे समय से विवाद में है। 800 साल पुरानी इस भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिमों में मतभेद हैं। हिंदुओं के अनुसार भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। मुस्लिम इसे पुरानी इबादतगाह बताते हैं। हिंदू संगठन के लोग बताते हैं कि धार की ऐतिहासिक भोजशाला उसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह राजा भोज द्वारा स्थापित सरस्वती सदन है। यहां कभी 1000 वर्ष पूर्व शिक्षा का एक बड़ा संस्थान हुआ करता था। बाद में यहां पर राजवंश काल में मुस्लिम समाज को नमाज के लिए अनुमति दी गई, क्योंकि यह इमारत अनुपयोगी पड़ी थी। पास में सूफी संत कमाल मौलाना की दरगाह है। ऐसे में लंबे समय से मुस्लिम समाज में नमाज अदा करते रहे। अब वही लोग इस भोजशाला को कमाल मौलाना की दरगाह बता रहे है। हर साल बसंत पंचमी पर हिंदू समाज यहां बड़ा कार्यक्रम करता है। शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी पड़ने पर कई बार विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

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