कश्मीर में शहीद हुए मेजर, घर पर रह गई बूढ़ी दादी, मां, तीन बहनें और पत्नी

By Team MyNation  |  First Published Feb 18, 2019, 5:20 PM IST

देहरादून के रहने वाले 31 साल के मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल वतन की राह पर शहीद हो गए हैं। वह जैश एक मोहम्मद के दुर्दान्त आतंकी अब्दुल रशीद के साथ 13 घंटे तक चली मुठभेड़ में मारे गए, जो कि एक रिहायशी इलाके में छिपा हुआ था। 

देहरादून के वीर बेटे मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट को श्रद्धांजलि देने आए लोगों का जनसैलाब अभी घर भी नहीं पहुंचा था कि खबर आई कि यहीं के निवासी मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल भी शहीद हो गए। 

लेकिन मेजर ढोंडियाल और उनकी टीम ने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड जैश ए मोहम्मद के कमांडर कामरान उर्फ अब्दुल रशीद को मार गिराया।
 
यह मुठभेड़ 13 घंटे तक चली। लेकिन इस दौरान मेजर डोबरियाल के साथ तीन और जवानों का निधन हो गया। उनके नाम हैं हवलदार शिवराम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरि सिंह।  

and all ranks salute the supreme sacrifice of our brave officer and soldiers & offer deepest condolences to the families. pic.twitter.com/qo8TzBJF89

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इस पूरे घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू यह है कि मेजर ढोंडियाल के परिवार में अब उनकी दादी, माताजी, पत्नी और तीन बहनें ही बची रह गई हैं। पहले तो सेना ने मेजर के देहांत की खबर उनके परिवार को नहीं दी। लेकिन बाद में उनकी पत्नी को इस दुखद घटना की खबर दी गई। 

मेजर ढोंडियाल की शादी पिछले साल ही हुई थी। उनकी पत्नी निकिता दिल्ली में जॉब करती हैं। वहीं उन्हें उनके बहादुर पति की शहादत की खबर दी गई। 

मेजर ढोंडियाल के पिता का देहांत कुछ साल पहले हो गया था। जिसके बाद वही घर में इकलौते पुरुष सदस्य बच गए थे। 

वह भारतीय सेना की 55 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे और उन्होंने चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से प्रशिक्षण लिया था।
 
सुरक्षा बलों ने सोमवार को जानकारी दी कि मेजर ढोंडियाल और उनकी टीम ने उस दुर्दांत आतंकवादी को मार गिराया, जिसने पुलवामा के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार को ट्रेनिंग दी थी। 

डार ने आईईडी से भरी कार को सीआरपीएफ के कारवां से टकरा दिया था। जिसमें 40 जवानों की शहादत हो गई थी। 

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