जो कांग्रेस 2017 में सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा की नियुक्ति का विरोध कर रही थी, वहीं 2018 में उनका समर्थन करके अपनी राजनीति चमका रही है।
कांग्रेस ने एक बार फिर से अवसरवादी राजनीति की मिसाल पेश की है। उसके नेता मल्लिकार्जुन खड्गे 2017 में जिस आलोक वर्मा की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे, अब 2018 में उसी अधिकारी को छुट्टी पर भेजे जाने का विरोध कर रहे हैं।
2017 में राज्यसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए मल्लिकार्जुन खड्गे ने आलोक वर्मा की सीबीआई निदेशक बनाने के खिलाफ प्रधानमंत्री को कड़े शब्दों में चिट्ठी लिखी थी। लेकिन अब उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के बाद नियमों के उल्लंघन का बहाना बनाकर राजनीति कर रहे है। ।
2017 में क्या चाहते थे खड्गे
तब प्रधान मंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता समेत एक तीन सदस्यों वाली चयन समिति ने तत्कालीन दिल्ली पुलिस कमिश्नर आलोक वर्मा को अगले सीबीआई निदेशक के रूप में चुना। लेकिन खड्गे इससे सहमत नहीं थे।
उन्होंने स्टेट विजिलेन्स में आलोक वर्मा के 18 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में वर्मा की 'अनुभवहीनता' का हवाला देते हुए प्रधान मंत्री मोदी को एक तीन-पेज लंबा पत्र भेजा।
खड़गे सीबीआई डायरेक्टर के पद के लिए गृह मंत्रालय में विशेष सचिव आरके दत्ता का समर्थन कर रहे थे। अपने नोट में खड्गे ने तर्क दिया था कि दत्ता के 208 महीने का अनुभव वर्मा के 18 महीनों की तुलना में बेहतर रहा है।
उस समय आलोक वर्मा के कटु आलोचक रहे खड़गे ने कहा था कि " इस समिति को यह तय करना चाहिए जो उम्मीदवार भ्रष्टाचार विरोधी और देश की अखंडता के मानकों पर दूसरे उम्मीदवारों से आगे निकलता हो उसे उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।" खड्गे ने यह तर्क आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक बनने से रोकने के प्रयास के तहत दिए थे।
खड़गे ने जब आलोक वर्मा को रोक पाने की अपनी कोशिशों को असफल होते देखा। तो उन्होंने कड़ा असंतोष जाहिर किया, कि ‘ऐसा लगता है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति पहले से तय थी। इस चुनाव की प्रक्रिया से छेड़छाड़ की गई है। चयन समिति की बैठक से पहले ही कैंडिडेट का चुनाव तय कर लिया गया था’।
खड्गे का यह विरोध बकायदा रिकॉर्ड मे दर्ज है।
अब 2018 में खड्गे क्या कह रहे हैं?
आज 25 अक्टूबर को खड्गे ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर हमला किया है। चार पन्नों की इस चिट्ठी में खड्गे पहले से बिल्कुल उल्टी बात कह रहे हैं।
अपनी चिट्ठी में खड्गे ने लिखा है-‘पिछले कुछ दिनों में होने वाली घटनाओं से परेशान होकर मैं यह पत्र लिखने के लिए बाध्य हो रहा हूं’। वह सीबीआई पर सीबीआई के छापे और आधी रात को सीबीआई के मुखिया आलोक वर्मा और दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना के झगड़े में सरकार के दखल का जिक्र कर रहे थे। इन दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है और नागेश्वर राव को देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेन्सी का अंतरिम निदेशक बना दिया गया है।
लेकिन इस बार खड्गे वर्मा के समर्थन में उतर आए हैं, यह वही शख्स हैं जिन्होंने मात्र डेढ़ साल पहले उनकी नियुक्ति का कड़ा विरोध किया था।
इस बार उन्होंने लिखा, "... कोई नहीं - न तो आप और ना ही सीवीसी – के पास यह अधिकार है, कि वह सेवा शर्तों का उल्लंघन करके निदेशक (आलोक वर्मा) को हटा दें।
खड्गे आगे लिखते हैं, ‘पूर्ववर्ती अधिकारी (आलोक वर्मा) के खिलाफ लंबित कोई एफआईआर, कोई मामला, कोई अभियोजन नहीं है और चयन समिति के सामने उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया जिसने 17 महीने उनका चुनाव किया था। जबकि विशेष निदेशक (अस्थाना) की नियुक्ति के समय ही उनके विरुद्ध कई आरोप लगाए गए थे। उनके खिलाफ पहले से ही कई आरोप मौजूद हैं और जब विशेष निदेशक के खिलाफ मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज किया गया है, तो सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है’।
खड्गे जिस आलोक वर्मा को ‘अनुभवहीन’ और ‘अयोग्य’ बता रहे थे, आज उन्हें ही बनाए रखने के पक्ष में तर्क दे रहे हैं।
कांग्रेस की बड़ी योजना
दरअसल खड्गे यह सब अकेले नहीं कर रहे हैं। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट् पर ट्वीट करते हुए वर्मा के प्रति अपना समर्थन जताया है। साथ ही कथित तौर पर राफेल मामले की अनियमितताओँ की जांच की शुरुआत करने को वर्मा की विदाई की वजह साबित करने में तुले हुए हैं।
कांग्रेस ने गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके यह घोषणा की है कि वह वर्मा को हटाने के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी कर रही है। यह वही पार्टी है जो कभी उनकी नियुक्ति के विरोध में झंडा लेकर खड़ी थी।
PM removed the CBI Director to stop him from investigating Rafale.
Mr 56 broke the law when he bypassed CJI & LOP.
Mr Modi, Rafale is a deadly aircraft with a superb radar. You can run, but you can't hide from It.
कांग्रेस ने अपनी सभी राज्य इकाइयों या प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) को निर्देश दिया है कि वह देश भर में सीबीआई के दफ्तरों के सामने आंदोलन करें। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के सभी प्रवक्ताओं को आदेश दिया गया है कि वह सीबीआई में फेरबदल के इस मामले को राफेल से जोड़ दें- उस राफेल मामले से जो कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन, राफेल बनाने वाली कंपनी दस्सॉ एविएशन और अनिल अंबानी के इनकार के बाद अपना महत्व खो चुका है।