ये तय है कि ये प्रस्ताव पारित हो जाएगा। क्योंकि विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस का बहुमत है। इस प्रस्ताव के पारित होती ही पश्चिम बंगाल भी उन राज्यों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां केन्द्र सरकार के नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुए हैं। पश्चिम बंगाल से पहले राजस्थान, पंजाब और केरल में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज नागरिकता संशोधन कानून को विधानसभा में प्रस्ताव पेश करेंगी। हालांकि ये तय है कि ये प्रस्ताव पारित हो जाएगा। क्योंकि विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस का बहुमत है। इस प्रस्ताव के पारित होती ही पश्चिम बंगाल भी उन राज्यों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां केन्द्र सरकार के नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुए हैं। पश्चिम बंगाल से पहले राजस्थान, पंजाब और केरल में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख नागरिकता कानून को लेकर पुरजोर विरोध कर रही हैं। जबकि सच्चाई ये है कि कुछ साल पहले ममता बनर्जी ने इस तरह के कानून को राज्य में लागू करने की तरफदारी लोकसभा में की थी। उस वक्त राज्य में वामदलों की सरकार थी। लेकिन अब ममता नागरिकता संसोधन कानून का विरोध कर रही हैं। आज ममता बनर्जी इसके लिए राज्य के विधानसभा में प्रस्ताव पेश करेंगी।
राज्य में बहुमत होने के कारण इस प्रस्ताव का पारित हो जाना तय है। लेकिन इस प्रस्ताव के पारित होने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। हालांकि अभी तक तीन कांग्रेस शासित राज्य इस प्रस्ताव को पारित कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस में एक धड़ा इस तरह के प्रस्तावों के खिलाफ है। पूर्व कानून मंत्री कपित सिब्बल और सलमान खुर्शीद और अभिषेक मनु सिंघवी साफ कर चुके हैं कि इस तरह के प्रस्तावों का केन्द्रसरकार के कानून पर असर नहीं होगा। क्योंकि राज्य संसद से पारित कानून को लागू करने के लिए बाध्य है।
फिलहाल राज्य में ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव को वामपंथी पार्टियों के अलावा कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है। जबकि भाजपा इसका विरोध क रही है। वहीं ममता सरकार इस कानून को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ अपील भी दायर करने की तैयारी में है। जबकि इससे पहले केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को लेकर याचिका दाखिल करचुकी है। फिलहाल कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी इसके लिए प्रस्ताव लाने वाले हैं जबकि महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार पर कांग्रेस और एनसीपी का जबरदस्त दबाव है।