खटाई में पड़ा महागठबंधन, मायावती ने कर दी झगड़े की शुरुआत

By Team Mynation  |  First Published Sep 17, 2018, 1:28 PM IST

मायावती लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। वह अगले चुनाव में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें झटकना चाहती हैं। 
 

केन्द्र की एनडीए सरकार के खिलाफ महागठबंधन बनाने की योजना को पहला झटका लगा है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपनी सौदेबाजी चालू कर दी है। उन्होंने रविवार को यह कहकर धमाका कर दिया, कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटों पर लड़ने का मौका मिलेगा तभी गठबंधन होगा, वरना वह अकेली ही चुनावी मैदान में उतरेंगी।  

यही नहीं कर्नाटक में रैली मंच पर सोनिया गांधी से गलबहियां करने वाली मायावती कांग्रेस पर भी निशाना साधने से चूकीं नहीं। उन्होंने बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी जमकर धोया और उसपर महंगाई के साथ साथ भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देने का आरोप मढ़ दिया।  

मायावती का यह बयान, लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी पर दबाव बनाने की कोशिश है। वह अगले चुनाव में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें झटकना चाहती हैं। 
खबर आ रही है कि महागठबंधन के नेता इसके लिए कई फॉर्मूलों पर काम कर रहे हैं। जैसे-

-    रनर अप फॉर्मूला- यूपी में सीटों के बंटवारे के लिए जिन सीटों पर जो पार्टी दूसरे नंबर पर रही है। महागठबंधन की ओर से उस पार्टी को वह सीट दे दी जाए। 2014 के चुनाव में बीएसपी 34 सीटों पर, सपा 31 सीटों पर और कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इसी चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 80 में से 73(तिहत्तर) सीटें जीत ली थीं। अगर इस बार रनर अप फॉर्मूले पर अमल होता है, तो बीएसपी को इसका फायदा होगा। लेकिन प्रश्न है, कि क्या सपा इसके लिए तैयार होगी। 

-    साल 2009 के नतीजे महागठबंधन के लिए बहुत बेहतर थे। जिसमें बीएसपी को 20, सपा को 23 और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थी। कांग्रेस इसी फॉर्मूले को फिर से लागू करना चाहती है। लेकिन खबर है, कि सपा और बीएसपी इसके लिए तैयार नहीं है। 

-    एक फॉर्मूला साल 2004 का है जब सपा के सबसे ज्यादा सांसद चुनकर आए थे। इसमें सपा का वोट प्रतिशत भी ज्यादा था। 2004 का फॉर्मूला सपा को तो रास आता है। लेकिन कांग्रेस और बीएसपी को इसमें आपत्ति है। 

-    इसके अलावा महागठबंधन में कांग्रेस के अतिरिक्त बीएसपी ऐसी दूसरी पार्टी है, जिसका जनाधार यूपी के अतिरिक्त दूसरे राज्यों में भी है। ऐसे में मायावती की ख्वाहिश मध्य प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ने की है। लेकिन कांग्रेस इसका समर्थन नहीं कर रही है। 

लेकिन सबसे बड़ा पेंच यह है कि देशभर में दलितों से सहानुभूति का जो माहौल तैयार हुआ है। मायावती उसे कैश करके यूपी में 40 सीटें हासिल करना चाहती हैं। लेकिन इसमें सबसे बड़ी आपत्ति सपा को है। 

वैसे यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। महागठबंधन के नेताओं का अहंकार हमेशा से उसकी कमजोरी रही है। जिसकी वजह से महागठबंधन में अंतर्विरोध पैदा हो जाता है। यही बीजेपी की ताकत भी है। 

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