भाजपा और शिवसेना के रिश्तों की खटास लगातार बढ़ने के बीच हुईइस मुलाकात को महाराष्ट्र की राजनीति की बड़ी घटना माना जा रहा है।
लोकसभा चुनावों से पहले समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ रिश्ते सुधारने और मेलमिलाप बढ़ाने का दौर शुरू हो गया है। इन्हीं अटकलों के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के सुप्रीमो राज ठाकरे ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है।
दोनों भाइयों के बीच सियासी गतिरोध बढ़ने के बाद से मुलाकातें कम ही होती हैं। यही वजह है कि राज ठाकरे के इस कदम को सियासी हलकों में काफी संभावनाओं के साथ देखा जा रहा है। हालांकि राज ठाकरे की उद्धव से मिलने की वजह निजी है। वह अपने बेटे की शादी का निमंत्रण देने उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' पहुंचे थे। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की शादी इसी महीने 27 जनवरी को होनी है।
: MNS's Raj Thackeray visited Shiv Sena's Uddhav Thackeray's residence to invite him to the wedding ceremony of his son Amit Thackeray. He is due to get married on January 27. pic.twitter.com/E4cRHocmon
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सूत्रों की मानें तो राज ठाकरे जल्द ही दिल्ली आकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलेंगे और उन्हें अपने बेटे की शादी का निमंत्रण देंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज ठाकरे का नेताओं से मिलने का सिलसिला कितना लंबा होता है, ये अभी साफ नहीं है, लेकिन भाजपा और शिवसेना के रिश्तों की खटास लगातार बढ़ने के बीच हुई इस मुलाकात को महाराष्ट्र की राजनीति की बड़ी घटना माना जा रहा है।
दरअसल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र के सांसदों को साफ संकेत दे दिया है कि उन्हें अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में पार्टी की भूमिका साफ करते हुए शाह ने सांसदों से कहा कि महाराष्ट्र में कुछ भी खोकर गठबंधन नहीं होगा। कुल मिलाकर भाजपा अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि शिवसेना ने ज्यादा सीटें मांगी तो उनके आगे नहीं झुका जाएगा महाराष्ट्र से भाजपा के 23 और शिवसेना के 18 सांसद हैं।
इससे पहले, जब शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सीने में दर्द की शिकायत के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो राज उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे थे। यही नहीं उद्धव को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद राज उन्हें अपनी मर्सिडीज कार में मातोश्री भी लेकर गए थे।
महाराष्ट्र की राजनीति ने उस समय बड़ी करवट ली थी, जब शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी की कमान सौंप दी थी। खुद को बाल ठाकरे का सियासी उत्तराधिकारी मानने वाले राज इससे आहत हो गए और उनकी शिवसेना नेतृत्व से दूरियां बढ़ गईं। राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बना ली। इसके बाद से दोनों की राह अलग हो गई और मेलजोल भी कम हो गया।