मोदी कैबिनेट 2.0: शाह बने रहेंगे भाजपा अध्यक्ष, सुषमा के नाम पर खुद पीएम ने लगाई मुहर

By Anindya BanerjeeFirst Published May 29, 2019, 7:45 PM IST
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'माय नेशन' को भरोसेमंद सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि पीएम मोदी ने सुषमा स्वराज को कैबिनेट में शामिल करने की इच्छा जताई है। सुषमा ने पिछले साल लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद पीएम चाहते हैं कि सुषमा को केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनाया जाए।

दूसरे कार्यकाल के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ लेने में कुछ ही घंटे का समय बचा है। मोदी कैबिनेट 2.0 को लेकर लग रही अटकलों के बीच प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह में सवा चार घंटे लंबी मंत्रणा हुई। इसमें यह फैसला किया गया कि अमित शाह भाजपा की बागडोर संभाले रखेंगे। समझा जाता है कि 7 लोक कल्याण मार्ग पर मंगलवार को हुई इस बैठक में पीएम मोदी ने शाह से कहा है कि 2021 में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव तक वह संगठन की जिम्मेदारी अपने पास रखें।

'माय नेशन' को भरोसेमंद सूत्रों से यह जानकारी भी मिली है कि पीएम मोदी ने सुषमा स्वराज को कैबिनेट में शामिल करने की इच्छा जताई है। सुषमा ने पिछले साल लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद पीएम चाहते हैं कि सुषमा को केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनाया जाए।

क्यों पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे शाह?

चुनाव के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को मोदी सरकार की दूसरी पारी में कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। उन्हें गृह मंत्रालय का पदभार सौंपा जा सकता है। हालांकि 'माय नेशन' को मिली जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी ओर अमित शाह दोनों का मानना है कि बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों तक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव न किया जाए। बंगाल में साल 2021 में चुनाव होगा। लेकिन पूर्वी सूबे से लगातार मिल रहे संकेतों को देखें तो बंगाल में इस साल नंवबर तक सत्ता परिवर्तन देखने को मिल सकता है। 'माय नेशन' पूर्व में इससे जुड़ी खबरें दे चुका है। 

बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की टीएमसी के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। पीएम मोदी खुद कह चुके हैं कि टीएमसी के 40 से ज्यादा विधायक सीधे उनके संपर्क में हैं।  बंगाल विधानसभा में 295 सीटें हैं। तृणमूल के पास 209 विधायक हैं। भले ही भाजपा बंगाल में समय से पहले सत्ता परिवर्तन की बात कह रही हो लेकिन पार्टी चुपचाप 2021 विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है। ऐसा माना जा रहा है कि त्रिपुरा में वामदलों का किला भेदने वाले सुनील देवधर को बंगाल में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी को लगता है कि शाह के नेतृत्व के बिना भाजपा लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने जैसे करिश्मे को विधानसभा चुनाव में दोहराने से चूक सकती है। 

2021 के बंगाल चुनाव से पहले बिहार और दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। कमजोर आरजेडी और नीतीश कुमार की घटती ताकत को देखते हुए भाजपा बिहार में खुद को बड़ी भूमिका में लाने की कोशिश कर रही है। अगर ताजा परिस्थितियों के अनुसार भाजपा की ज्यादा सीटों की मांग पर जेडीयू की ओर से कोई विरोध होता है तो भगवा दल के विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी हालात से निपटने के लिए पार्टी की कमान अमित शाह जैसे 'चाणक्य' के पास होनी जरूरी है। बिहार में पार्टी में किसी भी एक चेहरे पर आमराय न बनने की स्थिति में मजबूत पार्टी अध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

मोदी दूसरे कार्यकाल में भी चाहते हैं सुषमा का साथ

'माय नेशन' इस बात की पुष्टि कर सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद सुषमा स्वराज को अपने दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट में शामिल करना चाहते हैं। हालांकि यह सुषमा की हां या ना पर निर्भर करता है। पिछले साल उन्होंने एक तरह से सियासी 'संन्यास' का ऐलान कर दिया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि यह पार्टी को तय करना होगा। मैंने चुनाव न लड़ने का मन बना लिया है। 

: "It is the party which decides, but I have made up my mind not to contest next elections," says External Affairs Minister and Vidisha MP Sushma Swaraj pic.twitter.com/ao8FIee2I0

— ANI (@ANI)

लेकिन माना जा रहा है कि पीएम मोदी राज्यसभा के जरिये उन्हें संसद में ला सकते हैं। वह चाहते हैं कि सुषमा एक बार फिर विदेश मंत्रालय का जिम्मा संभालें। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुषमा ने बड़ी सूझबूझ के साथ संभाला। यही वजह है कि पीएम ने खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मंगलवार को सुषमा स्वराज से बात करने की जिम्मेदारी दी। शपथग्रहण से 48 घंटे पहले इस घटनाक्रम के मायने अपने आप निकाले जा सकते हैं। 

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट का हिस्सा बनने का फैसला अब सुषमा को खुद लेना है। शाह का भाजपा अध्यक्ष बना रहना लगभग तय है। 'माय नेशन' पहले ही यह बता चुका है कि कैसे अमित शाह 2024 तक भाजपा के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। पार्टी तीसरे कार्यकाल के लिए उनके नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनावों में जा सकती है। 

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