प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने नई एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है। इस एजेंसी को डीएसआरओ यानी डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी कहा जाएगा।
भविष्य में अंतरिक्ष में होने वाली किसी भी तरह की लड़ाई के लिए सैन्य बलों की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने एक ऐसी नई एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है जो इस काम के लिए जटिल हथियार प्रणाली एवं तकनीक विकसित करेगी।
समाचार एजेंसी एएनआई ने रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने नई एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है। इस एजेंसी को डीएसआरओ यानी डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी कहा जाएगा। इस एजेंसी का काम अंतरिक्ष में होने वाले युद्धों के लिए हथियार प्रणाली और तकनीक विकसित करना होगा।’
बताया जाता है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर इस संबंध में कुछ समय पहले ही फैसला ले लिया गया था। एक ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के वैज्ञानिक की निगरानी में इस एजेंसी ने आकार लेना शुरू कर दिया था। इस एजेंसी को वैज्ञानिकों की टीम उपलब्ध कराई जाएगी, जो तीनों सेनाओं के एकीकृत डिफेंस स्टॉफ ऑफिसरों के साथ समन्वय कर इसमें काम करेंगे।
Modi govt approves new agency to develop space warfare weapon systems
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यह एजेंसी डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) को अनुसंधान एवं विकास को लेकर मदद मुहैया कराएगी। डीएसए में तीनों सेनाओं के सदस्य होते हैं। डीएसए का गठन अंतरिक्ष में होने वाले युद्ध में मदद करने के लिए हुआ था।
इस साल के मार्च महीने में भारत ने एंटी सैटेलाइट टेस्ट किया था। इस परीक्षण के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष में किसी उपग्रह को मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली थी। इस परीक्षण के साथ ही भारत चार देशों के उस क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी क्षमता है। इस परीक्षण से भारत ने अपने उन दुश्मनों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की क्षमता हासिल कर ली है जो युद्ध के समय भारतीय उपग्रहों को निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
बेंगलुरू स्थित डिफेंस स्पेस एजेंसी की जिम्मेदारी एयर वाइस मार्शल रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। यह धीरे-धीरे तीनों सेनाओं की अंतरिक्ष संबंधी क्षमताओं का नियंत्रण करेगी। (इनपुट एएनआई)