रुपए में कमजोरी और कच्चे तेल की महंगाई से बड़ी मुसीबत को कम करने के लिए और अपना खजाना भरने के लिए मोदी सरकार ‘शत्रु संपति’ (enemy shares) बेचेगी।
बीते एक साल में डॉलर की तुलना में रुपया लगातार कमजोर पड़ रहा है जिसकी वजह से भारत में इम्पोर्ट भी महंगा हो गया है। बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए मोदी सरकार अब अपना दांव खेलने के लिए तट पर है।
रुपए में कमजोरी और कच्चे तेल की महंगाई से बड़ी मुसीबत को कम करने के लिए और अपना खजाना भरने के लिए मोदी सरकार ‘शत्रु संपत्ति’ (enemy shares) बेचेगी। दरअसल शत्रु संपत्ति उन लोगों की संपत्ति है जो 1947 में विभाजन के समय भारत में अपनी जमीन जायदाद छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे।
जानकारी के मुताबिक, दुश्मनों द्वारा छोड़ी गई इस संपत्ति की कीमत लगभग 3,000 करोड़ रुपए है। जिसे भारत ‘शत्रु संपत्ति’ करता है। यह संपत्ति उन लोगों से संबंधित है, जो पाकिस्तान और चीन में जा चुके हैं।
बता दें, यदि कोई भी भारतीय पाकिस्तान या चीन का नागरिक बन जाता है तो वह देश का ‘शत्रु’ कहलाया जाएगा। साथ ही उस व्यक्ति के शेयर सहित हर तरह की संपत्ति को सीज कर लिया जाता है। यह संपत्ति ‘कस्टोडियम ऑफ इनेमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया’ के पास रहती है।
ऐसी भी खबर आई है कि सरकार, आरबीआई से उसके रिजर्व से 3.6 लाख करोड़ रुपए की डिमांड कर चुकी है। इसको लेकर देश में खासा विवाद बना हुआ है।
रकार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तो हाल में यह भी कहा कि सराजकोषीय घाटा के संकट को देख रही है और चुनावी साल में खर्च बढ़ाने के लिए आरबीआई के सामने हाथ फैला रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार इनेमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968 को लगातार सख्त बनाती जा रही है। सरकार ने अपने एक बयान में कहा कि, मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को 996 कंपनियों में 20,323 शेयरहोल्डर्स के शेयरों को बेचने की योजना को मंजूरी दे दी, जिन्हें इनेमी शेयर माना जाता है। सरकार ने कहा कि इनमें स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 139 कंपनियों सहित 588 कंपनियां एक्टिव हैं।