दुश्मन की खैर नहीं, सेना को मिलने वाला है 'विश्व रिकॉर्डधारी' हथियार

By Ajit K Dubey  |  First Published Aug 24, 2018, 2:00 PM IST

मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय एटीएजीएस हॉवित्जर तोपें खरीदने पर विचार कर रहा है। यह सौदा  3,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। 

रक्षा क्षेत्र में  'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण 140 से ज्यादा स्वदेशी तोपें खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रही हैं। यह सौदा 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम यानी एटीएजीएस हॉवित्जर तोपों को खरीदने की योजना है। इन तोपों का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और निजी क्षेत्र की कंपनियां टाटा पॉवर एवं भारत फोर्ज लिमिटेड मिलकर करती हैं। 

सरकार के सूत्रों ने 'माय नेशन' को  बताया कि इसी हफ्ते एक उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है। रक्षा मंत्रालय सेना के लिए 140 से ज्यादा एटीएजीएस हॉवित्जर खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इनके साथ ही 200 वाहनों को भी खरीदा जाएगा, जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन के समय तोपों, इनके गोला बारूद और पुर्जों के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए होगा। 

बोफोर्स तोप सौदे के विवादों में घिरने के बाद सेना के लिए तीन दशक तक किसी भी तरह की तोपों की खरीदारी नहीं की गई। मोदी सरकार के आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने विभिन्न तोपें खरीदीं। इनमें 100 वज्र स्वचालित तोपें, अमेरिका की एम-777 हॉवित्जर और ऑर्डिनेंस फैक्टरी की धनुष हॉवित्जर तोपों की खरीद शामिल है। 

155 मिलीमीटर एटीएजीएस तोपों ने 50 किलोमीटर की दूरी से गोले दागने में विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। यह इस श्रेणी की किसी भी प्रणाली में सबसे ज्यादा है। यह तोप इस श्रेणी की तोपों से दो टन हल्की है। गोले दागने और सटीक निशाना लगाने के मामले यह अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी बेहतर है। 

सूत्रों का कहना है कि इन तोपों का सिक्किम और दूसरे ऊंचाई वाले स्थानों में भी शानदार प्रदर्शन रहा है। 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 140 तोपों की खरीद शुरुआती ऑर्डर है। सेना को ऐसी सैकड़ों तोपों की आवश्यकता है। इनसे पुराने हो चुकी पूरी प्रणाली को बदला जाना है। 

इन तोपों के आ जाने से सेना की मारक क्षमता में और इजाफा हो जाएगा। साथ ही हित धारकों भी इनका उत्पादन लंबे समय तक जारी रख सकेंगे।

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