60 साल के हो चुके गजराज ने भी मां को पुष्कर, हरिद्वार, सुमेरपुर, मेवाड़, बिजोवा सहित कई जगह पर ढूंढा लेकिन मां नहीं मिली। पिता की नाराजगी इतनी थी कि उन्होंने मां के गांव का पता बेटे को कभी नहीं बताया। चार साल पहले उनकी मौत हो गई।
दुर्गसिंह राजपुरोहित की रिपोर्ट
57 साल से बिछड़े बेटे से मिलने की उम्मीद को न टूटने देने वाली मां के सब्र की कल्पना कीजिए। अब सोचिए उस बेटे ने कितनी कोशिशें की होंगी जो उम्र के इस पड़ाव पर आखिरकार अपनी मां से मिल ही गया। शायद, कुदरत ने इतने साल बाद दोनों का मिलना लिखा था। माहौल खामोश था और कहने-सुनने के लिए बहुत कुछ। लेकिन शब्द कहीं गुम थे और भावनाएं हावी हो रही थीं। ये पल उनके लिए भी भावुक था जिन्होंने पांच दशक की ममता और तड़प का मिलन देखा। जब मां-बेटे मिले तो देखने वालों की आंखों में पानी था। मां-बेटे एक-दूसरे को ऐसे पकड़े बैठे थे कि अब मरते दम तक अलग नहीं होंगे।
प्यार और ममता की यह कहानी राजस्थान के नागौर के सिवाना उपखड़ के मोकलसर गांव की है। 82 साल की सुआ देवी 57 साल पहले अपने 3 साल के बेटे गजराज से बिछड़ी थीं। इसके बाद उन्होंने लगभग छह दशक तक अपने बेटे की तलाश में पुष्कर, रामदेवरा, जयपुर, सुमेरपुर, बालोतरा, अहमदाबाद और किशनगढ़ की खाक छानी। 60 साल के हो चुके गजराज ने भी मां को पुष्कर, हरिद्वार, सुमेरपुर, मेवाड़, बिजोवा सहित कई जगह पर ढूंढा लेकिन मां नहीं मिली।
ऐसे बिछड़ी सुआ देवी बेटे से -
सुआ देवी के पति चतुर्भुजराम दमामी को घूमने का शौक था। वह पत्नी के साथ भी खूब घूमते थे। दोनों का एक बेटा गजराज हुआ। बेटा तीन साल का हुआ तो पत्नी ने यह कहकर घूमने का विरोध किया कि गजराज छोटा है, उसे लेकर घूमना ठीक नहीं है। पत्नी सुआ देवी का टोकना चतुर्भुजराम को अखर गया। वह सुआ देवी को किशनगढ़ में छोड़ गजराज को लेकर चले गए। सुआ देवी वहां से अपने पिता के घर चली गईं। उन्हें यह उम्मीद थी कि पति गजराज को लेकर लौट आएंगे। काफी दिन तक जब पति और बेटा नहीं लौटे तो उन्होंने दोनों की तलाश शुरू की। यहां तक कि हरसंभव ठिकाने पर पति और बेटे को खोजा, लेकिन वे नहीं मिले। उधर, पिता की नाराजगी इतनी थी कि इतने साल तक उन्होंने मां के गांव का पता बेटे को नहीं बताया। चार साल पहले उनकी मौत हो गई। वह जयपुर में रेलवे स्टेशन के सामने कहीं काम करते थे। सुआ देवी ने दूसरी शादी नहीं की और बेटे को खोजने में इतने साल बिता दिए।
आखिर कैसे मिले मां-बेटा
मोकलसर की रहने विमला देवी एक महीने पहले अपने मायके बिजुबा पाली गई थी। वहां अपनी मां को खोज रहे गजराज से उनकी मुलाकात हुई। गजराज की मां के लिए तड़प देख विमला देवी भावुक हो गईं। उन्होंने ठान लिया कि वह मां-बेटे को मिलाकर रहेंगी। उन्होंने गजराज से कहा कि अगर कहीं उनकी मां मिलेंगी तो उन्हें बताएंगी। साथ ही गजराज का मोबाइल नंबर ले लिया। कुछ दिन बाद विमला देवी अपने ससुराल लौटीं और निदान वेलफेयर सोसायटी की मदद से सुआ देवी की तलाश में जुट गईं। लेकिन यह कुदरत का करिश्मा ही था कि गजराज की मां भी अपने बेटे की तलाश में मोकलसर पहुंची। उसी दिन दौरान बाजार में विमला देवी को बेटे की तलाश करती सुआ देवी मिलीं। विमला देवी उन्हें अपने घर ले आईं। इसके बाद गजराज से फोन पर संपर्क किया। गजरात को यकीन नहीं हुआ कि इतनी जल्दी मां की खबर मिली है। वह जिंदा हैं। इसके बाद विमला देवी ने मां-बेटे के बीच वीडियो कॉल करवाई। गजराज बुधवार को मोकलसर आए और 57 साल बाद मां-बेटे का मिलन हुआ। हर कोई इसे कुदरत का करिश्मा बता रहा है। गजराज की पत्नी की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। उनकी एक बेटी है।