भारतीय मूल के सांसदों ने दिया यूरोपीय संसद में भारत का साथ, पाकिस्तान की नहीं चाल

यूरोपीय संसद में फ्रांस के सदस्य थियरी मारिआनी ने प्रस्ताव पर चर्चा में पाकिस्तान का हाथ होने का संकेत दिए हैं। उन्होंने भारत का साथ देते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताया। संसद में थियरी मारिआनी ने भारत के समर्थन में अपना पक्ष रखा और दलीलें दी। असल में संशोधित नागिरकता कानून के खिलाफ यूरोपीय संसद में एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन भारत इसे  मार्च तक टालने में सफल रहा।

MPs of Indian origin support India not in Pakistan but in European Parliament

नई दिल्ली। यूरोपीय संसद में भारत में नागरिकता संसोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पेश होने वाले प्रस्ताव को मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। इसके लिए कई सांसदों ने साथ दिया। इसमें दो भारतीय मूल के सांसद भी हैं। वहीं पाकिस्तान चाल के पीछे पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम सांसद का हाथ माना जा रहा है। जिसने इस प्रस्ताव की भूमिका तैयार की। वहीं यूरोपीय संसद में कुल 751 सांसदों से में से महज 154 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

MPs of Indian origin support India not in Pakistan but in European Parliament

यूरोपीय संसद में फ्रांस के सदस्य थियरी मारिआनी ने प्रस्ताव पर चर्चा में पाकिस्तान का हाथ होने का संकेत दिए हैं। उन्होंने भारत का साथ देते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताया। संसद में थियरी मारिआनी ने भारत के समर्थन में अपना पक्ष रखा और दलीलें दी। असल में संशोधित नागिरकता कानून के खिलाफ यूरोपीय संसद में एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन भारत इसे  मार्च तक टालने में सफल रहा। क्योंकि कई यूरोपीय सांसदों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया।

जिसके कारण ये मार्च तक टाल दिया गया है। हालांकि  ये भी कहा जा रहा है कि ये ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति के लिए संघ की उच्च प्रतिनिधि हेलेना डेल्ली ने भारत का साथ दिया। हालांकि ज्यादातर सांसदों का कहना था कि इसे भारतीय संसद ने पारित किया है। लिहाजा इस मामले में ज्यादा कुछ कहना सही नहीं है। डेल्ली ने कहा कि यह भारत के सुप्रीम कोर्ट का काम है।

वहीं यूरोपीय संसद में भारतीय मूल के दो सांसद दिनेश धमीजा और नीना गिल ने भी भारत के पक्ष में अपनी बात रखी। उन्होंने नागरिकता संसोधन कानून को लेकर फैली भ्रांतियों के बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को इस बारे में पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है। हालांकि ये साफ हो गया है कि इसके पीछे ब्रिटेन के सांसद शफाक मोहम्मद का हाथ है। वह पीओके के मीरपुर के निवासी हैं। यूरोपीय संसद में कुल 751 सांसद हैं. और इसमें से 154 सांसदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।

vuukle one pixel image
click me!