मिट्टी पानी धूप हवा,सब रोगों की एक दवा

By Team MyNation  |  First Published Nov 19, 2020, 12:27 PM IST

नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा की शरीर को तरो- ताजा करने, जीवंत और उर्जावान बनाने में बहुत उपयोगिता है। चर्म विकृति और घावों को ठीक करने में मिट्टी चिकित्सा अपना महत्व साबित कर चुकी है।
 

नई दिल्ली। प्राकृतिक चिकित्सा में माटी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। मिट्टी में अनेकों प्रकार के क्षार , विटामिन्स, खनिज, धातु, रासायन रत्न, रस आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है। औषधियां कहां से आती है? जबाब होगा पृथ्वी , मतलब सारे के सारे औषधियां के भंडार होता पृथ्वी। अत: जो तत्व औषधियों में है, उनके परमाणु पहले से ही मिट्टी में उपस्थित रहते है।
नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा की शरीर को तरो- ताजा करने, जीवंत और उर्जावान बनाने में बहुत उपयोगिता है। चर्म विकृति और घावों को ठीक करने में मिट्टी चिकित्सा अपना महत्व साबित कर चुकी है। शरीर को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी-चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। मिट्टी, शरीर के दूषित पदार्थों को घोलकर व अवशोषित कर अंततः शरीर के बाहर निकाल देती है। मिट्टी की पट्टी एवं मिट्टी-स्नान इसके मुख्य उपचार हैं।

मृदास्नान (मड बाथ) रोगों से मुक्ति का अच्छा उपाय है।

मिट्टी चिकित्सा के लाभ -
कब्ज, स्नायु-दुर्बलता, तनावजन्य सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, मोटापा तथा विशेष रूप से सभी प्रकार के चर्म रोगों आदि में सफलतापूर्वक इसका उपयोग कर जीवन शक्ति का संचार एवं शरीर को कांतिमय बनाया जा सकता है। यही कारण है कि आज अधिकतर डॉक्टर्स, हिलर्स, योग और प्राकृतिक चिकित्सक भी स्वयं ही तनावग्रस्त हैं। जो चिंता का विषय है। समाधान है; स्वयं को शुद्ध अध्यात्म प्रशिक्षण से जोड़ना!

मन और बुद्धि को प्रतिदिन अध्यात्म में प्रशिक्षित न किया गया तो केवल ऊपरी(स्थूल शरीर) उपचार ही चलता रहेगा और लोग बार बार बीमार पड़ते रहेंगे। शुक्ष्म शरीर (मन, बुद्धि, अहंकार) स्वस्थ रहे तभी व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य, पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ का बेहतर ख्याल रखना सिख पाता है। इमोशनल स्वास्थ्य ठीक रहे तभी फिजिकल स्वास्थ्य ठीक रहता है लंबे समय तक। रोग चाहे शरीर के भीतर हो या बाहर, मिट्टी उसके विष और गर्मी को धीरे-धीरे चूसकर उस जड़-मूल से नष्ट करके ही दम लेगी। यह मिट्टी की खासियत है। साबुन में मौजूद कास्टिक सोडा त्वचा में खुश्की पैदा करता है जबकि मिट्टी में यह बात नहीं है ,वह मैल को दूर करती है, त्वचा को कोमल, ताजा, चमकीली एवं प्रफुल्लित कर देती है।

गर्मी के दिनों में उठने वाली घमौरियां और फुंसियां इससे दूर रहती हैं। सिर के बालों को मुल्तानी मिट्टी से धोने का रिवाज अभी तक मौजूद है। इससे मैल दूर होता है,काले बाल, मुलायम, मजबूत और चिकने रहते हैं तथा मस्तिष्क में बड़ी तरावट पहुंचती है। शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करना एक अच्छा उबटन माना जाता है। अधिक जानकारी के आप प्रशांत शर्मा योग थेरेपिस्ट से उनके मोबाइल नंबर- +91 94500 06459 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

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