'अंगिरस' को बेचने के साथ बीजेपी दिग्गज मुरली मनोहर जोशी ने खत्म कर लिया प्रयागराज से आखिरी नाता

By Team MyNation  |  First Published Jul 6, 2019, 8:19 AM IST

बीजेपी की शुरुआत से ही उससे जुड़े हुए देश दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले वयोवृद्ध राजनेता मुरली मनोहर जोशी ने शायद प्रयागराज से अपना आखिरी नाता भी तोड़ लिया है। उन्होंने यहां अपना बंगला अंगिरस बेच दिया है। 973.34 वर्गमीटर क्षेत्रफल के बंगले अंगिरस की कीमत 6.65 करोड़ लगाई गई। इसे चार लोगों ने मिलकर खरीदा है। 
 

प्रयागराज: भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ मुरली मनोहर जोशी आज से कोई 15 साल पहले प्रयागराज में मिली हार से इतने दुखी हुए कि उन्होंने यहां से अपना हर नाता खत्म कर लिया। 

अब तो प्रयागराज के टैगोर टाउन में स्थित बंगला अंगिरस भी बिक गया। जिसके साथ डॉ जोशी का प्रयागराज से 55 साल पुराना नाता भी खत्म हो गया है। 

उनके शैक्षिक जीवन से लेकर राजनैतिक हलचल तक की तमाम गतिविधियों के गवाह इस बंगले के 973.34 वर्गमीटर क्षेत्रफल की कीमत 6 करोड़ 65 लाख रुपए लगी। जिसे उनके पड़ोसी समेत 4 लोगों ने मिलकर खरीदा। अपनी पत्नी तरला जोशी और बेटी के साथ प्रयागराज में बंगले का सौदा करने पहुंचे डॉ जोशी के 65 साल पुरानी यह थाती चार टुकड़ों में विभक्त हो गई। 

इस बंगले को बेचने के बाद डॉ जोशी ने अपनी साढ़े पांच दशक की प्रयागराज से नाता लगभग तोड़ लिया है। वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव इलाहाबाद संसदीय सीट से हारने के बाद प्रयागराज से नाराज हुए डॉ जोशी का यह कदम उनके जाने वाले उसी नाराजगी से जोड़ कर देख रहे हैं। हालांकि जुलाई महीने की 31 तारीख तक अभी यह बंगला डॉ जोशी के ही कब्जे में रहेगा लेकिन इसके बाद अंगिरस में सिर्फ और सिर्फ उनकी यादें बचेंगी। 

 बैनामे के लिये इन चार लोगों ने अदा की गई 46.35 लाख की स्टाम्प ड्यूटी 

डॉ मुरली मनोहर जोशी  का अंगिरस बंगला 973.34 वर्गमीटर की एरिया में फैला है। उनके पड़ोसी और मित्र हर्षनाथ मिश्र के बेटे एवं ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ आनंद मिश्रा ने इस बंगले का 690.18 वर्ग मीटर हिस्सा 4 करोड़ 70 लाख रुपए में बैनामा कराया जो इस बंगले का सबसे बड़ा हिस्सा है।
 विद्युत विभाग के अधिकारी धरणीधर द्विवेदी ने 80.26 वर्ग मीटर के लिए 55 लाख रुपए, फरीदाबाद की रहने वाली नीलिमा मिश्रा ने 118.17 वर्ग मीटर के लिए 80 लाख एवं शहर के तेलियरगंज की रहने वाली संध्या कुशवाहा और प्रियंका कुशवाहा ने 84.73 वर्ग मीटर के लिए 60 लाख रुपये अदा करके डॉ जोशी से बैनामा लिया। 


इन सभी के लिए क्रमशः 32.90 लाख 3.85 लाख, 5.50 लाख, और 4.10 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी लगी। कुल 46.35 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी लगी।

अंगिरस पर ही पूरी हुई रजिस्ट्री की प्रक्रिया

डॉ मुरली मनोहर जोशी की ओर से सदर तहसील के उप निबंधक कार्यालय में अपने बंगले अंगिरस को बेचने के लिए आवेदन किया था। जिसमें रजिस्ट्री की प्रक्रिया उनके बंगले पर ही पूरी करनी की गुजारिश की गई थी। इसके लिए उप निबंधक कार्यालय में अतिरिक्त शुल्क भी जमा किया गया था। देर शाम उपनिबंधक विभाग के कर्मचारी डॉ जोशी के बंगले पर पहुंचे जहां पूरे बंगले की फोटोग्राफी और नाप जोख की प्रक्रिया पूरी की गई।

नाना जी देशमुख से लेकर अटल बिहारी तक का मेजबान रहा है अंगिरस

डॉ. मुरली मनोहर जोशी का टैगोर टाउन का बंगला 'अंगिरस' राजनीतिक दिग्गजों का मेजबान रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह समेत शायद ही कोई बड़ा नेता हो जो इस बंगले में न आया हो। भारतरत्न नानाजी देशमुख प्रयागराज आने पर यही रुकते थे।

जोशी के पास 55 वर्ष से था यह बंगला

तकरीबन साढ़े पांच दशक यानि 55 वर्ष से यह बंगला डॉ. जोशी के पास है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद डॉ. जोशी ने कर्मस्थली प्रयागराज से नाता लगभग तोड़ लिया। वर्ष 1996, 98 और 1999 में लगातार तीन बार इलाहाबाद से सांसद रहे डॉ. जोशी की राजनीतिक गतिविधियां इसी बंगले 'अंगिरस' से ही संचालित होती रहीं। उनकी एक बेटी प्रियंवदा की शादी इसी बंगले से हुई। जबकि दूसरी बेटी निवेदिता का विवाह दिल्ली से किया था।

महर्षि अंगिरा के नाम पर पड़ा था अंगिरस नाम

डॉ जोशी ने मेरठ से बीएससी करने के  ने वर्ष 1951 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में एमएससी में प्रवेश लिया। वर्ष 1953 में एमएससी करने के बाद प्रो. देवेद्र शर्मा की देरेख  में शोध करने लगे। इस बंगले में उस समय भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर के. बनर्जी रहते थे। बंगला सरकारी था और हर महीने निश्चित किराया जिला प्रशासन को देना पड़ता था। 

वर्ष 1954 में प्रो. बनर्जी कोलकाता जाने लगे तो जिला प्रशासन से वार्ता कर डॉ. जोशी को बंगला आवंटित करा दिया। बाद में सरकार ने आवंटियों को घर बेचे तो डॉ. जोशी ने इसे खरीद लिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वह 1960 में शिक्षक हुए। पहले मकान पुराने मॉडल से बना था। वर्ष 1993 में नए सिरे से बंगले का निर्माण हुआ। 

डॉ. जोशी ने बंगले का नाम महर्षि अंगिरा (पुराणों में महर्षि अंगिरा को ब्रह्मा का मानस पुत्र तथा गुणों में सृष्टि  ब्रह्मा के ही समान बताया गया है) के नाम पर आंगिरस रखा।
 

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