नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया और राहुल गांधी को झटका, मोतीलाल वोरा की याचिका खारिज

मोतीलाल वोरा ने याचिका दायर कर बीजेपी नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने इस मामले में 20 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मोतीलाल वोरा ने अपने याचिका में डॉ. स्वामी पर उनके ट्वीट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए 'अभद्र' शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। 
 

national herald case sonia gandhi rahul gandhi Motilal Vora petition rejected

नई दिल्ली- नेशनल हेरल्ड मामले में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा की ओर से दायर याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से मोती लाल बोरा ही नही बल्कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए भी झटका के तौर पर देखा जा सकता है। 

मोतीलाल वोरा ने याचिका दायर कर बीजेपी नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने इस मामले में 20 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मोतीलाल वोरा ने अपने याचिका में डॉ. स्वामी पर उनके ट्वीट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए 'अभद्र' शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। 

मोतीलाल वोरा ने याचिका दायर कर बीजेपी नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने इस मामले में 20 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मोतीलाल वोरा ने अपने याचिका में डॉ. स्वामी पर अपने ट्वीट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए 'अभद्र' शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। 

वोरा की मानें तो डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी अपने ट्वीट में सोनिया के लिए 'ताड़का' और राहुल के लिए 'Bambino' (male child in Italian) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। वहीं मामले की सुनवाई के दौरान स्वामी ने कहा था कि ट्वीट में कांगी (congi) शब्द का मतलब कांग्रेस के लिए अपमानजनक टिप्पणी नहीं है। स्वामी ने कहा कि ट्वीट करने का अधिकार सबको है और उसी अधिकार के तहत हमने भी ट्वीट किया, लेकिन वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत साक्ष्य नहीं हो सकते हैं। 

जबकि कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा की ओर से पेश वकील आरएस चीमा ने कोर्ट से मेरिट के आधार पर फैसला करने की मांग की थी। डॉ. स्वामी ने मामले की सुनवाई के दौरान शशि थरूर द्वारा अर्णब गोस्वामी के रिपब्लिक चैनल के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया था जिसमें हाईकोर्ट ने चैनल को खबर प्रसारित करने की मांग खारिज कर दिया था। इसलिए उन्हें ट्वीट करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। डॉ. स्वामी की इस दलील का आरोपितों के वकील आरएस चीमा ने विरोध करते हुए कहा था कि अभी केस बचाव पक्ष के साक्ष्य के चरण में है और उनके ट्वीट वकीलों के काम करने में बांधा खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने स्वामी द्वारा ट्वीट में congi lawyers शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। 

बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी नेशनल हेराल्ड केस के मुख्य याचिकाकर्ता हैं। उनके मुताबिक कांग्रेस नेताओं द्वारा एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को 90 करोड़ लोन देने की बात फर्जी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि 414 करोड़ रुपये के आय को छुपाया गया। आयकर विभाग ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि इस आय पर टैक्स चुकाएं। स्वामी ने आयकर विभाग के इस आदेश का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं की एजेएल से डील को फर्जी बताया था। 

गौरतलब है कि एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास है। इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर नई बनाई कंपनी यंग इंडियन को दे दिए गए। इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। हालांकि, नेशनल हेराल्ड केस से संबंधित कई अलग- अलग याचिका हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

vuukle one pixel image
click me!