जान बचाने के लिए अजीबोगरीब तर्क दे रहे हैं निर्भया के कातिल

By Team MyNation  |  First Published Dec 11, 2019, 6:31 AM IST

अपनी अपील में अक्षय ने कोर्ट के समक्ष अपनी दलील रखी है एनसीआर और दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों की जिंदगी कम हो रही है। उसके बावजूद उसे फांसी की सजा दी रही है। उसने वेद, पुराण और उपनिशद का जिक्र करते हुए कहा कि सतयुग में लोग ज्यादा साल तक जीते थे, जोकि अब नहीं है। तो उसे फांसी क्यों। 

नई दिल्ली। जैसे-जैसे निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी देने का समय आ रहा है। वह अपनी जान बचाने के लिए अजीबोगरीब तर्क दे रहे हैं। निर्भया गैंगगेप के चार दोषियों को फांसी दी जानी है। लेकिन इसी बीच एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर की। अक्षय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि प्रदूषण के कारण जिंदगी कम हो रही तो क्यों उसे फांसी दी जा रही है।

अपनी अपील में अक्षय ने कोर्ट के समक्ष अपनी दलील रखी है एनसीआर और दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों की जिंदगी कम हो रही है। उसके बावजूद उसे फांसी की सजा दी रही है। उसने वेद, पुराण और उपनिशद का जिक्र करते हुए कहा कि सतयुग में लोग ज्यादा साल तक जीते थे, जोकि अब नहीं है। तो उसे फांसी क्यों।

हालांकि इससे पहले एक और दोषी ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की थी। लेकिन बाद में उनसे कहा कि उसने कोई दया याचिका दाखिल नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद दोषियों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल है। हालांकि अभी तक इस पर फैसला  नहीं किया है। लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनकी दया याचिका को खारिज कर दिया है।

गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात 23 वर्षीय निर्भया से दोषियों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसके बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। इसके बाद दोषी फरार हो गए थे। इस घटना ने पूरे देश झकझोर दिया और दोषियों को फांसी देने की मांग उठी थी। जिंदगी और मौत की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद निर्भया ने 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट भी दोषियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर चुका है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों को सुनाए गए फैसले पर विचार करने का कोई आधार नहीं है। निर्भया मामले में छह दोषियों में से राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग को तीन साल की सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया है। बाकी चार दोषी अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं।

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