अब नहीं बच पाएंगे निर्भया के दोषी, विकल्प खत्म अब हो सकती है 20 मार्च तक फांसी

जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब निर्भया के दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं।  राष्ट्रपति ने चौथे दोषी पवन की दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा ऐसे में अब अब चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। 

Now Nirbhaya's convicts will not be saved, the option may end by 20 March

नई दिल्ली। फिलहाल अब निर्भया के दोषी अपनी चालों से फांसी की सजा से नहीं बच सकेंगे। पिछले दिनों से निर्भया के दोषी बचते आ रहे हैं। लेकिन अब उनके सभी विकल्प खत्म हो गए हैं। पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के दोषियों का तीन बार डेथ वारंट जारी कर चुकी थी लेकिन हर बार कानूनी दांवपेंच से वह बचने में सफल हो रहे हैं। 

Now Nirbhaya's convicts will not be saved, the option may end by 20 March

जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब निर्भया के दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं।  राष्ट्रपति ने चौथे दोषी पवन की दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा ऐसे में अब अब चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके बाद  14 दिनों के भीतर दोषियों को फांसी दी जा सकती है। गौरतलब है कि निर्भया के दोषियों को 2013 में निचली अदालत ने फांसी दी था और इसके बाद 2014 में हाई कोर्ट और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर मुहर लगाई थी। लेकिन इसके बाद अभी तक दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती है। क्योंकि वह कानूनी दांव पेचों का प्रयोग कर बच रहे हैं।  पिछले बार तिहाड़ जेल में दोषियों को फांसी देने तैयारी पूरी हो गई थी। लेकिन ऐन वक्त पर दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकी। क्योंकि कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी थी।

पहली बार 22 जनवरी को टली फांसी

निर्भया के दोषियों की की फांसी पहली बार 22 जनवरी को कोर्ट ने अगली तारीख के लिए बढ़ाई। इसके बाद 1 फरवरी और फिर 3 मार्च को फांसी कोर्ट ने अगली तारीख तक रोक दी थी। हालांकि कोर्ट ने दोषियों को वकील से कहा कि वह कानून का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि पिछले दो महीने से दोषी सिर्फ कानूनी दांवपेंच से ही बच रहे हैं। असल में निर्भया के कातिल अलग अलग दया याचिका भेज रहे थे।  क्योंकि ऐसा कर उन्हें समय मिल रहा था। वहीं तिहाड़ जेल भी तीन पर फांसी की  तैयारियां कर चुका था।  तीन बार मेरठ से पवन जल्लाद को तिहाड़ जेल लाया गया और डमी के जरिए प्रैक्टिस भी की गई। लेकिन कोर्ट के आदेश के कारण हर बार फांसी रोक दी गई।
 

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