एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भले ही आतंकी संगठन एक ही मंसूबे के लिए लड़ने का दावा करते हों लेकिन उन्हें साथ आते कभी नहीं देखा गया। लेकिन अब खात्मे के डर से ये आतंकी संगठन साथ आ गए हैं।
आपके अक्सर सियासी दलों में गठबंधन होते देखा होगा। कभी आतंकवादी संगठनों में गठबंधन की बात सुनी है। सुनने में अजीब लगे लेकिन ऐसा हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से घाटी में सक्रिय आतंकी संगठन बौखला गए हैं। अब वो अलग-अलग नहीं मिलकर आतंकी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। सुरक्षा बलों के अनुसार, यह सामान्य घटना नहीं है। खात्मे के डर से कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन साथ आते दिख रहे हैं।
पुलवामा हमले के बाद से सुरक्षा बलों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ तेज अभियान छेड़ रखा है। पिछले एक महीने में कश्मीर घाटी में दो दर्जन से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तय्यबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी शामिल हैं। सुरक्षा बल इस साल अब तक 50 आतंकियों का खात्मा करने में सफल रहे हैं।
आतंकियों पर लगातार पड़ रही मार केबाद आतंकी संगठन साथ आने और नए ठिकाने तलाशने के लिए मजबूर हुए हैं। दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के केलर इलाके में बृहस्पतिवार को हुई मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए। उनकी पहचान सज्जाद खांडे, आकिब अहमद डार और बशरत अहमद मीर के रूप में हुई है। सभी पुलवामा के रहने वाले हैं। ये तीनों आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तय्यबा से थे।
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एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भले ही आतंकी संगठन एक ही मंसूबे के लिए लड़ने का दावा करते हों लेकिन उन्हें साथ आते कभी नहीं देखा गया। लेकिन अब खात्मे के डर से ये आतंकी संगठन साथ आ गए हैं। लश्कर-ए-तय्यबा में ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकी होते हैं वहीं पाकिस्तान से चलने वाला एक और आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन स्थानीय कश्मीरी लड़कों को बरगला कर आतंक की राह पर भेजता है। पाकिस्तान स्थित आतंकी इन कश्मीरी युवाओं को ट्रेनिंग देकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों से लड़ने के लिए भेजते हैं।
जम्मू-कश्मीर में इस समय सुरक्षा बल आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशन चला रहे हैं। आतंकी कमांडरों के ठिकानों का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों ने अपना मुखबिरों का नेटवर्क एक्टिव कर रखा है।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में आतंकी प्रशिक्षण कैंपों को बंद करने के लिए कहा गया है। पाकिस्तान को इस बात का डर है कि भारतीय सेना अब कभी भी पीओके में आतंकी कैंपों पर कार्रवाई कर सकती है। सुंदरबनी और राजौरी सेक्टर के दूसरी तरफ कोटली और निकिआल इलाके में फिलहाल आतंकियों के कैंप और दफ्तर बंद हैं। पाला और बाग इलाके में भी जैश-ए-मोहम्मद के कैंप हैं। वहीं कोटली में एक अन्य कैंप को हिजबुल द्वारा चलाया जा रहा था।
सेना का दावा है कि पिछले दो महीने में आतंकियों की भर्ती में कमी आई है। यही नहीं कश्मीर में मारे जा रहे स्थानीय आतंकियों के जनाजे में आने वाली भीड़ भी काफी कम हुई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कश्मीरी युवाओं को थोड़ी सी ही ट्रेनिंग देकर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए झोंका जा रहा है। वे किसी भी एनकाउंटर में ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते। वहीं पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी मुठभेड़ को लंबा खींच लेते हैं।’
पिछले साल की तरह इस साल भी सुरक्षा बलों की ओर से आतंकवाद रोधी अभियान पूरी तेजी के साथ चलाया जा रहा है। साल 2018 में कश्मीर में 250 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे। यह पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा संख्या थी। वहीं साल 2017 में 217 आतंकियों को ढेर किया गया।