अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कम मात्रा में शारीरिक गतिविधि की आदत ने पूरी दुनिया में 1.4 अरब लोगों की जिंदगी जोखिम में डाल दी है। दुनिया में हर तीन में से एक महिला और हर चार में से एक पुरुष इस समस्या से जूझ रहा है।
दुनिया की एक चौथाई आबादी की जान खतरे में है। उनकी आरामतलबी की आदत जानलेवा साबित हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है।
जिसमें यह कहा गया है, कि दुनिया में 25फीसदी लोग एक्सरसाइज या दूसरे तरह की शारीरिक मेहनत नहीं करते हैं, जिसकी वजह से उनकी जान खतरे में पड़ गई है। इस तरह के लोगों को हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियां होने का खतरा बेहद ज्यादा होता है।
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कम मात्रा में शारीरिक गतिविधि की आदत ने पूरी दुनिया में 1.4 अरब लोगों की जिंदगी जोखिम में डाल दी है। दुनिया में हर तीन में से एक महिला और हर चार में से एक पुरुष इस समस्या से जूझ रहा है।
एक ओर जहां गंभीर रोगों की दवा तलाश की जा रही है और लोगों की सेहत में सुधार आ रहा है। वहीं आलस्य का यह रोग लाइलाज होता जा रहा है। इस प्रवृत्ति में 2001 से कोई सुधार आता हुआ नहीं दिख रहा है। भारत में भी एक चौथाई यानी 25 फीसदी पुरुष और आधी महिलाएं इसी आदत का शिकार हैं।
इंसान की जिंदगी और दिनचर्या में तकनीक का दखल इतना ज्यादा हो चुका है कि सुबह उठने से लेकर सोने तक हर काम बिना मेहनत और आसानी से किया जा रहा है। ऐसे में लोग ज्यादा सुस्त हो चुके हैं। इंटरनेट क्रांति के बाद औद्योगिक क्षेत्रों में कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल ने इंसान के दिमाग को भी काफी हद तक निष्क्रिय कर दिया है।
गरीब देशों की तुलना में ब्रिटेन और अमेरिका जैसे संपन्न देशों में 37 फीसद लोग पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं। मध्य आय वर्ग वाले देश के लिए यह आंकड़ा 26 फीसद और निम्न आय वर्ग के लिए यह 16 फीसद है। यानी गरीब देशों में सुविधा विहीन लोग अपनी जीविका के लिए ज्यादा मेहनत करते हैं।
सभी देशों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा निष्क्रिय हैं, लेकिन पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और उच्च आय के पश्चिमी देशों में ये फर्क ज्यादा है। इसकी वजह है कि कई देशों में महिलाएं घर के बाहर काम नहीं करती हैं। घर और बच्चों की देखभाल में महिलाएं सामान्य व्यायाम के लिए भी समय नहीं निकाल पाती हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताएं भी इसका एक बड़ा कारण है।
किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक शारीरिक गतिविधि को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। जो इस प्रकार हैं-
19 से 64 वर्ष के लोगों को हफ्ते में 150 मिनट व्यायाम करना चाहिए। जिनकी शुरुआत धीमी हो लेकिन धीरे-धीरे उसमें तेजी आए।
या हफ्ते में 75 मिनट ऐसे व्यायाम करें जिसमें तेजी से कैलोरी खर्च हो।
मांशपेशियों को मजबूत करने वाली कसरत हफ्ते में कम से कम दो दिन जरुर करें।
लंबे समय तक बैठने से परहेज करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन साल 2025 तक आलस्य के मरीजों की संख्या को घटाकर 10 प्रतिशत करना चाहता है, जो कि अभी 25 फीसदी है।