भाजपा-जदयू की की राह आसान कर सकते हैं ओवैसी

एआइएमआइएम ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है उसमें से ज्यादा सीटें अभी विपक्ष के खाते में हैं। राज्य में एआइएमआइएम ने पिछले साल हुए विधानसभा उपचुनाव में खाता खोला था और एक सीट में जीत दर्ज की थी। हालांकि एआइएमआइएम का दावा है कि वह राज्य में वह राज्य में समान विचारधारा वाले राजनैतिक दलों के साथ चुनावी समझौता कर सकती है।

Owaisi can ease BJP-JDU path

पटना। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी मतों में सेंधमारी शुरू हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजविपलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने बिहार में 32 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। इन 32 सीटों में मुस्लिम विधायक है। लिहाजा संकेत साफ है कि एआइएमआइएम के मैदान में उतरने से महागठबंधन की मुश्किलों में इजाफा होगा और इससे भाजपा-जदयू की राह आसान होगी। 

Owaisi can ease BJP-JDU path

एआइएमआइएम ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है उसमें से ज्यादा सीटें अभी विपक्ष के खाते में हैं। राज्य में एआइएमआइएम ने पिछले साल हुए विधानसभा उपचुनाव में खाता खोला था और एक सीट में जीत दर्ज की थी। हालांकि एआइएमआइएम का दावा है कि वह राज्य में वह राज्य में समान विचारधारा वाले राजनैतिक दलों के साथ चुनावी समझौता कर सकती है। हालांकि अभी तक साफ नहीं है कि वह कौन से छोटे सियासी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। 

एआइएमआइएम ने चुनाव के लिए राजग और राजद के 15 साल बनाम 15 साल का नारे के साथ ही नया बिहार का नारा दिया है। एआइएमआइएम के इस नारे साफ हो गया है कि वह भाजपा-जदयू और राजद से दूरी बनाकर चलेगी और कांग्रेस से भी दूरी बनाकर रखेगी। एआइएमआइएम ने फिलहाल उन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है जहां पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। राज्य में कई सीटें ऐसी हैं यहां पर मुस्लिम आबादी 40 से 70 फीसद तक है और वह किसी भी दल को जीताने की हैसियत रखते हैं। ओवैसी ने पहले चरण में जिन सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है इसमें से 10 सीटों पर अभी मुस्लिम विधायक हैं।

जिसमें से सात विधायक राजद, दो कांग्रेस और एक माले का है। लिहाजा साफ है कि एआइएमआइएम राजद और कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएगी।  एआइएमआइएम को कट्टर मुस्लिम विचार धारा का माना जाता है और वह कई राज्यों में अपने विस्तार में जुटी हुई है।  पिछले साल एआइएमआइएम ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ गठबंधन की बात कही थी। क्योंकि बिहार मे 17 फीसदी दलित वोट है और एआइएमआइएम दलित और मुस्लिम कार्ड के जरिए चुनाव लडऩे की तैयारी में थी। लेकिन बाद में दोनों की दोस्ती परवान नहीं चढ़  पाई।

vuukle one pixel image
click me!