पाकिस्तान के लिए उसकी सेना हमेशा से भावनात्मक मुद्दा रहा है। पाकिस्तानी फौज अपनी तुलना हमेशा भारत से करती है। लेकिन इन दिनों वह इतने गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है कि पाक फौज ने अपना पुराना रवैया छोड़कर अपने खर्चों में भारी कटौती की घोषणा की है।
नई दिल्ली: पाकिस्तान में आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। वहां जरुरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में सेना का खर्च उठाना पाकिस्तान को भारी पड़ रहा है। इन हालातों में पाकिस्तानी फौज ने अपने खर्चों में खुद ही कटौती करने की घोषणा की है।
यह घोषणा सेना ने खुद ही की है क्योंकि पाकिस्तान में सेना इतनी ज्यादा सशक्त है कि किसी भी नागरिक सरकार की उसके खर्चों में कटौती की घोषणा करने की जुर्रत ही नहीं सकती। खास तौर पर इमरान खान जैसे सेना के बलबूते कुर्सी पर बैठे कठपुतली प्रधानमंत्री की तो ऐसी हिम्मत हो ही नहीं सकती कि वह सेना के बजट में कटौती की बात भी जुबान पर लाएं।
लेकिन पाकिस्तानी फौज ने जमीनी हालातों को ध्यान में रखते हुए खुद ही अपने खर्चे कम करने का ऐलान किया है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस फैसले का स्वागत किया है।
इमरान ख़ान ने ट्वीट करके कहा कि 'कई सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद आर्थिक संकट की घड़ी में सेना की ओर से अपने ख़र्चे में की कटौती के फ़ैसले का स्वागत करता हूं। हम इन बचाए गए रुपयों को बलूचिस्तान और क़बायली इलाक़ों में ख़र्च करेंगे।'
I appreciate Pak Mil's unprecedented voluntary initiative of stringent cuts in their defence expenditures for next FY bec of our critical financial situation, despite multiple security challenges. My govt will spend this money saved on dev of merged tribal areas & Balochistan.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI)इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने भी अपने देश की गरीबी पर पर्दा डालते हुए लोगों को सुरक्षा का आश्वासन देने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़्फूर ने ट्वीटर पर लिखा कि 'एक साल के लिए सेना के डिफेंस बजट में कटौती का देश की सुरक्षा पर कोई असर नहीं होगा। हम हर ख़तरे को असरदार तरीक़े से जवाब देंगे। तीन सर्विस इस कटौती से होने वाले प्रभाव को संभालने का काम करेंगी। बलूचिस्तान और ट्राइबल इलाक़ों की बेहतरी के लिए ये एक ज़रूरी क़दम था।'
Voluntary cut in def budget for a year will not be at the cost of def & security. We shall maint effective response potential to all threats.Three services will manage impact of the cut through appropriate internal measures. It was imp to participate in dev of tribal areas & Bln.
— Maj Gen Asif Ghafoor (@OfficialDGISPR)हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि पाकिस्तानी फौज अपने रक्षा बजट में कितनी कटौती कर रही है। पिछले साल यानी 2018 में पाकिस्तान का कुल सैन्य खर्च 11.4 अरब डॉलर रहा था। जो कि उसके कुल बजट का 4 फीसदी है।
पाकिस्तान की फौज इस बजट को घटाने की योजना पर काम कर रही है। यह नौबत इसलिए आई क्योंकि पाकिस्तान कर्जों के जाल में फंस गया है। उसे चीन से दोस्ती भारी पड़ रही है।
पाकिस्तान पर क़र्ज़ और उसकी जीडीपी का अनुपात 70 फ़ीसदी तक पहुंच गया है। क्योंकि चीन ने उसे बेहद उंचे दरों पर कर्ज दिया है। पाकिस्तान को चीन से दो तिहाई क़र्ज़ सात फ़ीसदी की भारी ब्याज दर पर मिला हुआ है।
लगातार अस्थिरता की वजह से वहां कोई भी बाहर का देश निवेश करने के लिए तैयार नहीं है। वित्तीय वर्ष 2018 में पाकिस्तान में सिर्फ 2.67 अरब डॉलर का निवेश आया जबकि चालू खाते का घाटा ही 18 अरब डॉलर पर था।
पिछले पांच सालों में पाकिस्तान पर क़र्ज़ 60 अरब डॉलर से बढ़कर 95 अरब डॉलर हो गया है। इन वजहों से पाकिस्तान में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक अगले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान में महंगाई दर 14 फ़ीसदी तक पहुंच सकती है।
पाकिस्तान में कई जरुरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।