पाकिस्तान के विदेश शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उन्होंने यूएई के क्राउन प्रिंस से दो बार बात की। उनके सामने पाकिस्तान की आपत्ति भी दर्ज कराई। उनके पिता के साथ संबंधों का वास्ता देकर देर रात तक मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान की नहीं सुनी।
भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अबू धाबी में 57 मुस्लिम बहुल देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को संबोधित किया। ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत को बतौर विशिष्ट अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी ओआईसी ने भारत को भेजा न्योता रद्द नहीं किया। इससे तिलमिलाए पाकिस्तान ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। अब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस बैठक में नहीं जाएंगे।
इससे पहले पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में भी कुरैशी की यूएई के खिलाफ तिलमिलाहट खूब झलकी। कुरैशी ने कहा कि उन्होंने यूएई के क्राउन प्रिंस से दो बार बात की। उनके सामने पाकिस्तान की आपत्ति भी दर्ज कराई। उनके पिता के साथ संबंधों का वास्ता देकर देर रात तक मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान की नहीं सुनी। उन्होंने कहा, पुलवामा हमले से पहले ही भारत को न्यौता दिया जा चुका है। इससे पीछे नहीं हटा जा सकता। कुरैशी ने कहा कि यूएई ने मेजबान होने के बावजूद कई दूसरे सदस्य देशों से इस पर बात नहीं की।
मुस्लिम आबादी के लिहाज से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मुल्क भारत है। हालांकि वह न तो ओआईसी का सदस्य है और न ही उसे संगठन ने पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा दिया है। इसके बाद भी ओआईसी की तरफ से भारत को न्योता देना पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका है। पाकिस्तान ने ओआईसी को भारत को दिए न्योते को रद्द करने की मांग की थी लेकिन उसकी मांग को कोई तवज्जो नहीं मिली।
यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत औक पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका है। पाकिस्तान हमेशा से इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता आया है। थाईलैंड और रूस जैसे कम मुस्लिम आबादी वाले देशों को भी ओआईसी के पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है लेकिन 18.5 करोड़ मुस्लिम आबादी वाले भारत को यह दर्जा नहीं है।
इस्लामिक सहयोग संगठन
ओआईसी यानी इस्लामिक सहयोग संगठन मुस्लिम देशों का संगठन है। 57 देश इसके सदस्य हैं। खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंतरसरकारी संगठन है। 25 सितंबर, 1969 को मोरक्को की राजधानी रबात में मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन हुआ था। उसी सम्मेलन में इस संगठन के स्थापना का फैसला किया गया था। इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दा में है। इसके मौजूदा महासचिव यूसुफ बिन अहमद अल उसैमीन हैं। इस्लामिक कॉन्फ्रेंस ऑफ फॉरेन मिनिस्टर (आईसीएफएम) की पहली बैठक 1970 में हुई।