पाकिस्तान नहीं लगा पा रहा है आतंकियों की फंडिंग पर रोक, अमेरिका का दावा

By Team MyNationFirst Published Nov 2, 2019, 2:30 PM IST
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जानकारी के मुताबिक अमेरिकी विभाग का कहना है कि पाकिस्तान अपने वहां पर मौजूद आतंकी संगठनों  पर किसी  भी तरह की रोक नहीं लगा सका है। अभी तक आंतकी संगठनों को लगातार पैसा मिल रहा है और वह लगातार भर्ती कर रहे हैं। लिहाजा अमेरिका की ये रिपोर्ट पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। क्योंकि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक की मोहलत दी है।

नई दिल्ली। पाकिस्तान आतंकी संगठनों की फंडिंग पर रोक लगाने में नाकाम रहा है। यही नहीं पाकिस्तान आतंकियों की भर्ती पर भी रोक नहीं लगा पा रहा है। ये दावा अमेरिका का दावा है। अमेरिका विभाग ने दावा किया है कि पाकिस्तान में लगातार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों में भर्ती जारी है।

जानकारी के मुताबिक अमेरिकी विभाग का कहना है कि पाकिस्तान अपने वहां पर मौजूद आतंकी संगठनों  पर किसी  भी तरह की रोक नहीं लगा सका है। अभी तक आंतकी संगठनों को लगातार पैसा मिल रहा है और वह लगातार भर्ती कर रहे हैं। लिहाजा अमेरिका की ये रिपोर्ट पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। क्योंकि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक की मोहलत दी है। क्योंकि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकियों की फंडिंग को ही रोकने का आदेश दिया है।

अमेरिका विभाग का कहना है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को लागू करने में विफल रहा है। ये आतंकी संगठन लगातार पैसा जुटाकर आतंकियों की भर्ती कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कहना है ईरान आतंकवाद के मामले में दुनिया में सबसे ज्यादा फंडिंग करता है। हालांकि ये भी हो सकता है कि पिछले दिनों अमेरिका और ईरान के बीच खराब हुए रिश्तों के कारण अमेरिका ने इसमें ईरान का नाम शामिल किया है।

असल में पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने आईएसआईएस के चीफ अबु बकर अल-बगदादी को मारा गिराया है। पाकिस्तान को लेकर जो रिपोर्ट अमेरिका विभाग ने दी है उसके मुताबिक लश्कर और जैश को भारत और अफगानिस्तान के लिए खतरा बताया गया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ये दोनों संगठन 2018 से दुनिया के लिए खतरा बने हुए हैं। फिलहाल आने वाले समय में ये रिपोर्ट पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं क्योंकि एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में पाकिस्तान को जाने से बचाने वाले मलेशिया, तुर्की और चीन इस रिपोर्ट को लेकर चुप हो सकते  हैं।

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