पाकिस्तान के पीएम नियाजी को झटका, मलेशिया के पीएम महाथिर ने दिया इस्तीफा

By Team MyNation  |  First Published Feb 24, 2020, 7:48 PM IST

असल में महातिर के बयानों को लेकर उनके गठबंधन सहयोगी उनसे नाराज चल रहे थे और वह सरकार गिराने की योजना बना रहे थे। जिसके बाद महातिर ने अपना इस्तीफा दिया है। ये पाकिस्तान के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि महातिर को इमरान खान का करीबी माना जाता था और पिछले दिनों इमरान खान ने मलेशिया यात्रा के दौरान महातिर को आश्वासन दिया था कि वह ज्यादा मात्रा में मलेशिया से तेल का आयात करेंगे।

नई दिल्ली। अपने विवादित बयानों के जरिए सुर्खियों में रहने वाले मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।  उन्होंने अपना इस्तीफा मलेशिया के राजा को सौंप दिया है और माना जा रहा है कि पिछले दिनों उनके कश्मीर पर दिए गए बयानों से दोनों देशों के बीच हुए खराब रिश्तों पर अब नरमी आएगी। महातिर के बयानों के बाद मलेशिया का तेल का निर्यात काफी कम हो गया था।

असल में महातिर के बयानों को लेकर उनके गठबंधन सहयोगी उनसे नाराज चल रहे थे और वह सरकार गिराने की योजना बना रहे थे। जिसके बाद महातिर ने अपना इस्तीफा दिया है। ये पाकिस्तान के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि महातिर को इमरान खान का करीबी माना जाता था और पिछले दिनों इमरान खान ने मलेशिया यात्रा के दौरान महातिर को आश्वासन दिया था कि वह ज्यादा मात्रा में मलेशिया से तेल का आयात करेंगे। वहीं भारत महातिर के बयानों को लेकर नाराज है।

जबकि मलेशिया के विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया था। क्योंकि सहयोगी दलों और विपक्षी दलों का कहना था कि भारत मलेशिया का अच्छा साझीदार है और उसे नाराज नहीं करना चाहिए। असल में महातिर ने प्रधानमंत्री बनने जा रहे अनवर इब्राहिम का रास्ता रोकने के लिए अपने पद से इस्तीफा दिया था। पिछले दिनों ही इब्राहिम ने कहा था कि वह भारत सरकार से तेल का आयात बढ़ाने की गुजारिश करेंगे। हालांकि महातिर लगातार भारत के खिलाफ लगातार बयान दे रहे थे। इस बात को लेकर विपक्षी दल के नेता नेता नाराज थे।

अब महातिर के इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि भारत और मलेशिया के बीच रिश्ते अच्छे होंगे और भारत का भगोड़ा जाकिर नाईक को भारत लाया जा सकेगा। क्योंकि उसे महातिर का समर्थन मिला हुआ था। महातिर ने कहा था कि नाईक के प्रत्यपर्ण के लिए भारत सरकार ने पत्र नहीं लिखा है जबकि भारत कई बार मलेशिया सरकार को उसके प्रत्यर्पण के लिए लिख चुका था।
 

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