पाकिस्तान जब तक आतंकियों को पनाह बंद नहीं करता, उसे अमेरिकी सहायता नहीं देना चाहिए : हेली

By Team MyNationFirst Published Feb 26, 2019, 11:02 AM IST
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भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक निक्की हेली ने पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता को बुद्धिमानी से प्रतिबंधित करने के लिए ट्रंप प्रशासन की सरहाना भी की। हेली ने एक नए नीति समूह ‘स्टैंड अमेरिका नाउ’ की स्थापना की है जो इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगा कि अमेरिका को सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध कैसे रखा जाए। 

वाशिंगटन--संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व दूत रहीं निक्की हेली ने कहा है कि पाकिस्तान का आतंकवादियों को शरण देने का एक लंबा इतिहास रहा है और जब तक वह अपना व्यवहार सुधार नहीं लेता तब तक अमेरिका को चाहिए कि वह इस्लामाबाद को एक डॉलर भी नहीं दे ।

भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक निक्की हेली ने पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता को बुद्धिमानी से प्रतिबंधित करने के लिए ट्रंप प्रशासन की सरहाना भी की। हेली ने एक नए नीति समूह ‘स्टैंड अमेरिका नाउ’ की स्थापना की है जो इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगा कि अमेरिका को सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध कैसे रखा जाए।

हेली ने एक स्तंभ (ऑप-एड) में लिखा है कि जब अमेरिका राष्ट्रों को सहायता मुहैया कराता है तब ‘‘यह पूछना अधिक उचित है कि हमारी उदारता के बदले में अमेरिका को क्या मिलता है। लेकिन इसके बजाय पाकिस्तान ने नियमित रूप से कई मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी रूख का विरोध किया है।

‘फॉरेन एड शुड ओनली गो टू फ्रेंड’ शीर्षक वाले स्तंभ में निक्की ने लिखा है, ‘‘2017 में पाकिस्तान को करीब एक अरब डॉलर की अमेरिकी विदेशी सहायता मिली। अधिकतर सहायता पाकिस्तानी सेना के पास चली गई। शेष सहायता पाकिस्तानी लोगों की मदद के लिए सड़क, राजमार्ग और ऊर्जा परियोजनाओं पर खर्च हुई।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में सभी महत्वपूर्ण मतदानों पर पाकिस्तान ने आधे से अधिक बार अमेरिकी रूख का विरोध किया है। सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि पाकिस्तान का अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मारने वाले आतंकवादियों को शरण देने का भी लंबा इतिहास है।’’ 

दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गर्वनर निक्की ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने ‘‘पहले ही बुद्धिमानीपूर्वक पाकिस्तान की सहायता रोक दी है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’’ निक्की हेली पिछले साल के अंत में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के पद से हट गई थीं।

उन्होंने अमेरिका से अरबों डॉलर की सहायता लेने के बावजूद अमेरिकी सैनिकों को लगातार मारने वाले आतंकवादियों को शरण देने को लेकर पूर्व में भी पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की थी।
 

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