पिछले 11 साल के निचले स्तर पर पहुंचा पाम ऑयल, वहीं मलयेशिया भी गिरा

By Team MyNationFirst Published Jan 20, 2020, 8:10 AM IST
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जम्मू-कश्मीर को लेकर मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद लगातार बयान दे रहे थे। वो बयान अपने मित्र राष्ट्र पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के लिए कर रहे थे। जबकि कश्मीर भारत का अंदुरूनी मामला है। संयुक्त राष्ट्र में भी पिछले साल हुई बैठक में मलयेशिया ने पाकिस्तान का साथ दिया था। लेकिन इन दोनों देशों को वहां पर भी मुंह की खानी पड़ी थी।

नई दिल्ली। मलयेशिया में पाम ऑयल की कीमत पिछले ग्यारह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। जिसके बाद मलयेशिया की अर्थव्यवस्था के कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं अब मलयेशिया भारत से बातचीत करने के लिए आतुर दिख रहा है। क्योंकि उसे डर है कि कहीं भारत के इस बड़े फैसले के बाद पाम ऑयल की कीमत गिर सकती है।

भारत ने मलयेशिया से पाम ऑयल का आयात कम कर दिया है। हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर भारत सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन ऑयल आयातकों ने मलयेशिया से तेल खरीदना बंद कर दिया है। असल में जम्मू-कश्मीर को लेकर मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद लगातार बयान दे रहे थे। वो बयान अपने मित्र राष्ट्र पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के लिए कर रहे थे। जबकि कश्मीर भारत का अंदुरूनी मामला है।

संयुक्त राष्ट्र में भी पिछले साल हुई बैठक में मलयेशिया ने पाकिस्तान का साथ दिया था। लेकिन इन दोनों देशों को वहां पर भी मुंह की खानी पड़ी थी। अब जब भारत ने उससे पाम ऑइल के आयात में कटौती कर दी। तो मलयेशिया को अपनी अर्थव्यवस्था के चरमरा जाने का डर है। वहां पर पाम ऑयल की कीमत अपने 11 साल के निम्म स्तर पर आ गई है। वहीं कारोबारियों को डर है कि देश में हालत खराब हो सकते हैं। क्योंकि मलयेशिया में पाम ऑयल ही वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

फिलहाल अब मलयेशिया ने तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक चैनल के जरिए बातचीत की कोशिशें करनी शुरू कर दी हैं और उसने बातचीत की इच्छा जाहिर की है। मलयेशिया अब भारत के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए अपनी बात रखना चाहता है। हालांकि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल साफ कर चुके हैं कि सरकार की तरफ से पाम ऑयल पर किसी भी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। जो भी फैसला है वह तेल आयातकों का है।
 

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